ये बेशर्मो की टोली हैं,,,,,

ये बेशर्मो की टोली ही,
इन सभी ने मीलकर देखो
जमकर गन्ध मचाया हैं,
भारत देश की मान मर्यादा
को पूरा मिट्टी में मिलाया हैं,
ये बेशर्मो की टोली हैं,,,,,2
लाज शर्म और हय्या गवाकर
मर्यादा की सारी सीमा तोड़ा हैं,
भौतिकता मॉनवता और कला
के  नाम पर कई दसको से ये सब मिलकर भारत देश को कर रहे है बदनाम ,क्यो की ये बेशर्मो की टोली हैं,,,,,,2
नेताओ से ज्यादा ये सब धर्म का धन्धा करते हैं, एक वर्ग से नफरत करते दूजे पर ये सारे  जान लुटाते हैं , दोहरा हैं चरित्र इनका ये बार बार दिखलाते हैं,
क्यो की ये बेशर्मो की टोली हैं,,,,,2
फैशन और सिंगार के नाम पर
ये खूब  नग्नता दिखाते हैं,
नाम दाम और काम के नाम पर ये हर नारी की मर्यादा का देखो करते चीरहरण क्यो की ये बेशर्मो की टोली हैं,,,,,,,2
ये अपने चलचित्र  के अन्दर बड़ा अन्तर दिखलाते हैं,
बार बार ये अपनी कथा कहानी में एक बड़े वर्ग को ही बहुत बुरा बताते हैं, दुसरे समुदाय के लोगो को ये मासूम व इन्साफ परस्त दिखाते हैं,क्यो की ये बेशर्मो की टोली हैं,,,,2
 जरा गौर से देखो इनके चकचित्र को तो ये बार बार हर बार ये एक धर्म को ही ये सदा ढोंगी  आडम्बरी व बुरा बताते हैं , क्यो की ये बेशर्मो की टोली हैं,,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी )

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