तीन साल में चार करोड़ किसानों के बने मृदा स्वास्थ्य कार्ड
-फसलों के जटिल रोगों के भी वैज्ञानिकों ने निकाला समाधान
-कृषि मंत्री ने कहा, खाद डालने से उपज बढ़ी लेकिन लागत भी बढ़ती गयी, इस कारण मिट्टी की जांच पर दिया जोर
लखनऊ, 17 मार्च (हि.स.)। किसानों की आय दोगुनी करने में जुटी योगी सरकार के तीन वर्ष 19 मार्च को पूरे हो जाएंगे। इस बीच खेती किसानी को बाजार उपलब्ध कराने से लेकर उसे वैज्ञानिक रूप देने पर बहुत ज्यादा कार्य किया है। अभी सरकार के खेती को वैज्ञानिक रूप देने पर जोर देने का परिणाम ही रहा कि अभी कुछ दिन पहले केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने केले की खेती के लिए सबसे जटिल रोग पनामा विल्ट का निदान खोज लिया और अब वे किसानों के बीच साझा कर रहे हैं।
न्यूनत लागत पर अधिकतम उपज का फार्मूला लेकर काम करने वाली योगी सरकार ने सबसे पहले मृदा के तत्वों की जांच और उसके अनुसार उसके उपचार पर जोर दिया। इसके लिए किसानों के बीच प्रचार को भी जोर दिया गया। इसका परिणाम रहा कि तीन साल में ही चार करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवा लिये और वे मिट्टी की जांच करवाकर उसके सुक्ष्म तत्वों की जानकारी कर उसके अनुसार खाद का प्रयोग कर रहे हैं। इससे उनके लागत में भी कमी आयी है।
मंत्री ने कहा, मुहिम के तौर पर लिया मृदा कार्ड को
इस संबंध में प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि हरितक्रांति के शुरुआती दिनों में उपज बढ़ाने में रासायनिक खाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके जरिए हम खाद्यान्न उत्पादन में आत्म निर्भर तो हो गये, पर इनके प्रयोग से मिट्टी की रासायनिक संरचना बदल गयी। कालांतर में यह खाद क्रमश: बेअसर होती गयी। उपज बढ़ाने के लिए किसानों ने अधिक मात्रा में खाद डालना शुरू किया। इससे उनकी लागत तो बढ़ी ही खेत की मिट्टी और पर्यावरण को अलग से क्षति हुई। खेत को उसकी जरूरत के अनुसार खाद और सूक्ष्म पोषक तत्व मिले ,इसके लिए सरकार ने मिट्टी की जांच को मुहिम के तौर पर लिया। आज तीन साल में करीब चार करोड़ किसानों के पास मृदा कार्ड है।
कृषि यंत्रों पर दिया जा रहा भारी अनुदान
योगी सरकार ने यंत्रीकरण को बढ़ावा दिया। इसके लिए सरकार कृषि यंत्रों पर भारी अनुदान दे रही है। मौजूदा बजट में कृषि मशीनरी बैंक और कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए सरकार का लक्ष्य 22000 से अधिक किसान समूहों को 40 हजार से अधिक उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराएगी। यंत्रीकरण के जरिए कम लागत में अधिक उपज मिलने से किसानों की आय बढ़ जाएगी।
तीन साल में बने 14 कृषि विज्ञान केन्द्र, हर जिले में स्थापित करने का लक्ष्य
खेतीबाड़ी के क्षेत्र में देश-दुनिया के शोध संस्थानों में बहुत कुछ हो रहा है। किसानों को इनका लाभ तब होगा जब वह इनके बारे में जानेंगे और उनका प्रयोग करेंगे। सरकार ने अपने इस तंत्र के जरिए किसानों तक पहुचने के लिए द मिलियन फार्मर्स स्कूल के नाम से अभिनव प्रयोग शुरु किया। दोनों फसली सीजन के शुरुआत में होने वाले अपने तरह की इस अभिनव योजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा चुका है।
प्रसार के इस तंत्र को सरकार और मजबूत कर रही है। इसके लिए अब तक 14 कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना हो चुकी है। छह और स्थापित किए जाने हैं। इनके स्थापित होने से हर बड़े जिले में दो और छोटे जिलों में एक-एक कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित हो जाएंगे। आजमगढ़ और लखीमपुर खीरी में कृषि महाविद्यालय की स्थापना भी इसी बावत की गयी है।
बीमा योजना में बंटाईदारों को भी किया शामिल
सरकार संभव तरीकों से किसानों की आय बढ़ाने के साथ उनको आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा भी दे रही है। पीएम किसान सम्मान योजना के तहत अब तक किसानों के खाते में करीब 12 हजार करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं। बीमा योजना के दायरे में पहली बार बंटाईदारों को शामिल किया गया है। इसके तहत किसी किसान को अधिकतम पांच लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा मिलेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार बनने के साथ ही अपने वादे के मुताबिक कैबिनेट की पहली बैठक में प्रदेश के 86 लाख लघु-सीमांत किसानों के 36 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिये। वह भी अपने संसाधनों से। आलू किसानों के राहत के लिए सरकार पहली बार बाजार हस्तक्षेप योजना लेकर आई। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा पल्लेदारी और सफाई के मद में भी प्रति कुंतल की दर से अतिरिक्त पैसा दिया गया।
हर खेत तक पानी पहुंचाने पर दिया जोर
खेती हर चीज की प्रतीक्षा कर सकती है, पर पानी की नहीं। यही वजह है कि हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। इसमें से सर्वाधिक महत्वाकांक्षी योजना है, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना। इस योजना के जरिए केंद्र की मदद से सरकार दशकों से लंबित कई सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने को प्रतिबद्ध है।
18 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य
इस वर्ष सरकार का लक्ष्य करीब 18 लाख अतिरिक्त हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का है। इससे करीब 50 लाख किसानों को लाभ होगा। लाभान्वित होने वाले किसानों में प्रदेश के करीब तीन दर्जन जिलों के किसान होंगे। लाभान्वित होने वाले जिलों में पूरब से पश्चिम और बुंदेलखंड तक के जिले हैं। इनका माध्यम बनेंगी सरयू नहर, अर्जुन सहायक, मध्य गंगा नहर, उप्र वाटर सेक्टर रीस्ट्रक्चरिंग और बुंदेलखंड को फोकस करती भावनी बांध रसिन, लखेरी एवं बंडई बांध आदि परियोजनाएं।