आर. के. सिन्हा
मंगलवार की शाम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पूरे देश में 21 दिनों की तालाबंदी करके एक सख्त सन्देश तो दे ही दिया है। यह ‘‘न भूतो न भविष्यति’’ है। ऐसा न पहले हुआ न आगे होगा। लेकिन, यह संदेश बहुत ही समझदारीपूर्ण और देश के लिए नितांत अनिवार्य भी था। हाथ जोड़कर 21 दिन का घैर्य रखने की अपील करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो संकट की इस घड़ी में देश के पूरे 130 करोड़ जनता की जनभावनाओं को समझकर और उनकी सहमति से ऐसा सख्त कदम उठा रहे हैं। मोदी जी ने कहा कि यदि अगले 21 दिन तक हम लापरवाह रहे तो हमें 21 साल पीछे जाने में तनिक भी देरी नहीं लगेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमें दूसरे देशों के अनुभवों से सीख लेकर अपने देश के लिए सबसे बढ़िया और सही कदम उठाना ही उचित है। उनके कहने में वजन है। जब यह महामारी इटली, स्पेन और अमेरिका में फैली तो इन देशों में भी चीन की तरह लॉकडाउन करने का विकल्प तो आया ही था। लेकिन, इटली के प्रधानमंत्री ने कहा था कि वे चिकित्सा सुविधा में सक्षम हैं और लाकडाउन के निर्णय से देश की जनता को ऐसा लगेगा कि आम जनता को भयभीत किया जा रहा है। लेकिन, वहां लाकडाउन का निर्णय नहीं करने का परिणाम यह हुआ कि पूरे इटली में लाशों को ढोने वाला कोई अपना सगा बचा ही नहीं। सेना को लाशों को ट्रक में भरकर कहीं दूर ले जाकर दफनाने का काम करना पड़ रहा है जो प्रतिदिन टेलीविजन चैनलों पर देखा जा सकता है।
यही स्थिति स्पेन में भी आ गई हैं। स्पेन जैसा सुन्दर देश भी कोरोना के भयावह प्रकोप से ऐसी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है कि पूरा देश बिखर गया जैसा लगता है। अमेरिका से तो हमारे कई निकट के संबंधियों और मित्रों के प्रतिदिन फोन आ रहे हैं जो यह कह रहे है कि आपलोगों की स्थिति तो अमेरिका से कहीं बेहतर हैं। क्योंकि, तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं के रहते हुए भी अमेरिका में स्थिति काबू से बाहर हो जा रही है।
मोदी जी ने अपने राष्ट्र के नाम सम्बोधन के दौरान बहुत ही अच्छी तरह से समझाया कि कोरोना से लड़ने का एक मात्र उपाय यही है कि हम संक्रमण के बढ़ते हुए चेन को ही तोड़ दें। क्योंकि, यदि एक व्यक्ति जब किसी भी कारण से और किसी भी तरह से संक्रमित होता है और वह यदि समाज में घूमता रहे तो सैकड़ों लोगों को जाने–अनजाने में संक्रमित कर सकता है। भारत में आबादी का धनत्व यूरोप–अमेरिका के मुकाबले बहुत ज्यादा है और जनसंख्या भी ज्यादा है। इसलिए हमने संक्रमण का चेन तोड़ा नहीं और यदि इसी तरह हम एक दूसरे से मिलते –जुलते रहे, तो संक्रमण ज्यादा और जोरों से फैलेगा।
प्रधानमंत्री ने आकड़ों के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से बताया कि पूरे विश्व में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या को एक लाख की संख्या तक पहुंचने में 67 दिन लगे। जबकि, 1 लाख से 2 लाख होने में उसे 67 दिनों के मुकाबले में मात्र 11 दिन लगे और 2 लाख से 3 लाख पहुंचने में मात्र 4 दिन ही लगे। यदि इसी प्रकार से संक्रमण फैलता है तो मुनासिब तो यही है कि हर कीमत पर इस संक्रमण को फैलने से रोका जाय।
अतः यह 21 दिन का ऐतिहासिक तालाबंदी स्वागत योग्य ही है। ऐसा विश्व में पहले कभी नहीं हुआ था और भगवान न करें कि भविष्य में भी ऐसा कभी हो। शुरूआत में तो अपने