कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश में अलगाववादी तत्वों को बढ़ावा दिया ताकि वह भारत को घेर सकें। जस्टिन ट्रूडो ने साथ ही खालिस्तान की मांग करने वालों को राजनीतिक रूप से पनपने और आगे बढ़ने दिया तथा उनके समर्थन से सरकार भी बनाई। लेकिन अब यह अलगाववादी तत्व उनके लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं। अलगाववादी ताकतों के दम पर भारत की सरकार को हिलाने चले जस्टिन ट्रूडो की खुद की कुर्सी अब खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है। हम आपको बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपनी ही पार्टी के भीतर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई सांसदों ने उनसे साफ कह दिया है कि वह चौथे कार्यकाल की अपेक्षा नहीं करें। साथ ही ट्रूडो को अपने इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए 28 अक्टूबर तक की समय सीमा दी गयी है। ट्रूडो की पार्टी के कुछ सांसदों ने तो 28 अक्टूबर को ही प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की है वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा है।हालांकि लिबरल पार्टी के कुछ सांसदों के साथ तीन घंटे की बैठक के बाद मुस्कुराते हुए ट्रूडो ने कहा कि उनकी पार्टी “मजबूत और एकजुट” है। हम आपको बता दें कि ऐसे 20 से अधिक सांसद बताये जा रहे हैं जिन्होंने अगले चुनावों से पहले ट्रूडो से पद छोड़ने के लिए कहा है। कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। रिपोर्टों के मुताबिक न्यूफ़ाउंडलैंड के लिबरल संसद सदस्य केन मैकडॉनल्ड्स ने कहा, “प्रधानमंत्री को लोगों को सुनना शुरू करना होगा।” मैकडॉनल्ड्स ने कहा कि तमाम सांसद इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सरकार की खराब छवि के कारण वह दोबारा चुनाव जीत पाने में सक्षम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि ट्रूडो सरकार के चलते लिबरल पार्टी की लोकप्रियता गिरती जा रही है। उन्होंने कहा कि वैसे भी कनाडा के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने चार कार्यकाल नहीं जीते हैं इसलिए भी ट्रूडो के इस बार जीतने के आसार नहीं हैं।
लिबरल पार्टी के एक और सदस्य तथा रोजगार मंत्री रैंडी बोइसोनाल्ट ने कहा, “आप इसे सरकार नहीं महज नौटंकी कह सकते हैं।” वहीं ओंटारियो के लिबरल विधायक यवन बेकर ने कहा, “यह पार्टी के नेता का निर्णय है कि वह नेता बने रहेंगे या नहीं।” इसके अलावा, उपनगरीय टोरंटो निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य चार्ल्स सूसा ने कहा कि ट्रूडो वर्तमान में अलोकप्रिय हो रहे हैं। हम आपको यह भी बता दें कि ट्रूडो की लिबरल पार्टी को हाल ही में टोरंटो और मॉन्ट्रियल में चुनावों में असफलताओं का सामना करना पड़ा, जिससे उनके नेतृत्व पर संदेह पैदा हो गया है।
इस बीच, कनाडा के सांसद अब खुद स्वीकार करने लगे हैं कि ट्रूडो ने काफी गलतियां की हैं। हम आपको बता दें कि भारतीय मूल के एक प्रमुख कनाडाई सांसद ने कहा है कि खालिस्तानी हिंसक चरमपंथ एक कनाडाई समस्या है और देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस मुद्दे को “पूरी गंभीरता” से लेना चाहिए। प्रतिनिधि सभा में नेपियन से सांसद चंद्र आर्य ने सदन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। आर्य ने कहा, “खालिस्तानी हिंसक उग्रवाद कनाडा की एक समस्या है और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने कहा है कि राष्ट्रीय कार्य बल इसकी जांच पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।” उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि चरमपंथ और आतंकवाद राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैं हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से आग्रह करता हूं कि वे इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से लें।” आर्य ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि दो सप्ताह पहले जब वह एडमोंटन में एक हिंदू कार्यक्रम में भाग ले रहे थे, तब खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने उनके खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। आर्य ने कहा कि वह रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) की सुरक्षा व्यवस्था की वजह से कार्यक्रम में भाग ले सके। उन्होंने कहा, “कनाडा में, हमने लंबे समय से खालिस्तानी चरमपंथ की गंभीर समस्या को पहचाना और अनुभव किया है।” उन्होंने कहा, “मैं स्पष्ट कर दूं कि कनाडा की संप्रभुता का उल्लंघन और कनाडा में किसी भी रूप में विदेशी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।”