‘मैं हँॅू और मैं करूँगा हूँ, मैं हँॅू और मैं करूँगी हूँ,’’

इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में, संघ के प्रांगण में विश्व कैंसर दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता ए0एम0ए0 अघ्यक्षा डाॅ0 राधारानी घोष ने की।

इस कार्यक्रम मेें कमला नेहरू अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ व पद्मश्री डाॅ0 बी0 पाल थैलियथ ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए उपस्थित सभी लोगो को कैंसर के कारण और उसके रोकथाम व उपचार से अवगत कराया।

इस अवसर पर कैंसर केयर फाउण्डेशन के श्री अरूण बग्गा, श्री परमार्थ और डाॅ0 बी0 पाल थैलियथ को ए0एम0ए0 अध्यक्षा डाॅ0 राधारानी घोष ने स्मृति चिन्ह व शाल भेट कर सम्मानित किया।

डाॅ0 राधाघोष ने बताया कि यू0आई0सी0सी0 द्वारा विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी के अवसर पर तीन वर्ष के लिये एक कार्ययोजना बनाई गयी है, जिसका यह द्वितीय वर्ष है। इसका नारा है ‘‘मैं हँॅू और मैं करूँगा हूँ, मैं हँॅू और मैं करूँगी हूँ’’

कैंसर हम सब को किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है। विश्व कैंसर दिवस हर वर्ष 4 फरवरी को मनाया जाता है, जिसमें पूरा विश्व एक ही नारे के साथ काम करता है। इसका उद्देश्य कैंसर से होने वाली मौतांे को रोकना, जिसके लिये आम जनता बीच में जागरूकता फैलाई जाती है तथा सरकार के ऊपर कैंसर की रोकथाम के लिये दबाव बनाया जाता है।

डाॅ0 बी0 पाल ने कहा कि पूरे विश्व मे कैंसर के मामले बढ़ रहे है इस समय पूरे विश्व में 96 लाख लोग कैंसर से मर जाते है, जिसमें 40 लाख मौते कम उम्र में (30-63 वर्ष) हो जाती है।

इस दिवस को यू0आई0सी0सी0 नामक संस्था जिसका केन्द्रीय कार्यालय जिनेवा में है पूरे विश्व में आयोजित करती है।

इस वर्ष का नारा है ‘‘मैं हँॅू और मैं करूँगा हूँ, मैं हँॅू और मैं करूँगी हँू’’ से तात्पर्य हैः-

‘‘इसके’’ अन्तर्गत निम्नलिखित प्रयास किये जा सकते हैं –

1ण् व्यक्तिगत रूप से हम अपनी जीवन शैली को तम्बाकू मुक्त, पौष्टिक भोजन युक्त तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहकर अपने आप को कैंसर से बचा सकते है।

2ण् कैंसर की जल्दी पहचान से ठीक होने की ज्यादा संभावना होती हैः- अगर हम कैंसर के लक्षणों के बारे में जागरूक रहे तो कैंसर का जल्दी पता लग सकता और ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।

3ण् रोजगार – कैंसर रोगी जो भी अपने काम पर लौटना चाहता है उसको सहयोग देकर काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे कि अगर संभव हो तो वह पारिवारिक जिम्मेदारियां संभाल सके।

4ण् कैंसर की इलाज के दौरान परेशानियों का सामना करना- कैंसर रोगी को इलाज के बारे में तथा उससे होने वाले परेशानियों के बारे बात-चीत कर उसको इलाज को बेहतर तरीके से बर्दास्त करने की क्षमता पैदा की जा सकती है तथा उसका प्रोत्साहन कर हमे सामाजिक भेद-भाव से बचा सकते है।

5ण् भावनात्मक सहायता- कैंसर रोगी के मित्र, परिवार, सहकर्मी रोगी को भावनात्मक सहयोग कर इलाज के लिए प्रेरित कर सकते है तथा इलाज के समय को बेहतर तरीके से बिताने में सहयोग कर सकते है।

6ण् कैंसर सहयोगी संस्थाये- बहुत से कैंसर सहयोगी संस्थाये है जो रोगियो को मानसिक एवं भावनात्मक सहयोग प्रदान करती हैं जिससे वह सही तरीके से इलाज को बर्दास्त कर सके।

7ण् पूर्व कैंसर रोगियो द्वारा सहायता- बहुत से लोग जो पूर्व में कैंसर के रोगी रह चुके है वह अपने अनुभवो द्वारा नये रोगियो को इलाज के लिए प्रेरित कर सकते है।

इस संगोष्ठिी में डाॅ0 शार्दूल सिंह, डाॅ0 अशोक अग्रवाल, डाॅ0 आर0के0एस0 चैहान, डाॅ0 सुजीत सिंह, डाॅ0 युगान्तर पाण्डेय, डाॅ0 अनूप चैहान, डाॅ0 सुभाष वर्मा, डाॅ0 शरद साहू, डाॅ0 अशोक कुमार, डाॅ0 अभिनव अग्रवाल, व इलाहाबाद के लगभग 100 प्रतिष्ठित चिकित्सको ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन सचिव डाॅ0 राजेश मौर्या व वैज्ञानिक सचिव डाॅ0 आशुतोष गुप्ता ने किया।

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