डॉ कुसुम पांडेय
मैं कन्या रूप में जन्म लेकर
दो कुलों को धन्य करती हूं
मेरे मां बाप कहते हैं
मेरी किलकारियों से गूंज उठता है, उनका घर आंगन
बेटी बनके मां-बाप और परिवार पर प्यार लुटाती
बहन बनकर भाई का हौंसला बढ़ाती
संगिनी बन घर को धन्य धन्य से भर देती
अपने प्यार से दोनों कुलों को धन्य कर देती
हां बताओ??? किसने तुम्हारे पैरों में
बेड़ियां बांधने का साहस किया है
तुम स्वतंत्र हो ऊंची उड़ान भरो
हिरणी बन वन वन में जाकर, औषधि और वनस्पति से उपचार करो
खूब खेलो, कूदो और देश का नाम रोशन करो
तुम शिक्षिका बन आने वाले सुखद भविष्य का निर्माण करो
तुम लेखिका बन अपने लेखों से
जन जन में प्रेरणा का संचार करो
तुम अधिकारी बन जरूरतमंदों के हितों का
संरक्षण और उनका पोषण करो
जो मन करना चाहे वह सब करो
जहाज उड़ाओ, नाव चलाओ, या बंदूक लेकर देश की पहरेदार बन जाओ
किसने रोका है तुमको बालिके
अपने अधिकारों के लिए तुम स्वयं सक्षम हो, स्वतंत्र हो और मन में चाह हो तो सदा सफल हो
यह जो आत्म सम्मान की चमक है
तुम्हारे चेहरे पर बस इसे सहेज कर रखना
समाज को स्वयं अब नज़र और नजरिया बदलने के लिए विवश कर देना
तुम नियमों को समझो
परंपरा और सभ्यता को भी जानों
लेकिन हर बार बलि पर चढ़ने से अब खुद ही ना कर दो
खुद को दूसरों के बनाए सांचे में, ढालने की कोशिश छोड़ दो
बस स्वाभिमान और आत्म सम्मान के साथ जियो
तुम खूब हंस कर जियो
खूब खुल कर जिओ
गलतियां करके उनसे सीखते हुए जिओ
अगर खुले आसमान में उड़ना है तो
अपने मन से सारे बोझ उतार कर जियो
फिर देखो दुनिया कैसे तुम्हारे गीत गाती है
तुमको आदर्श मानकर अगली पीढ़ी की बालिकाओं को
कुछ करने और आगे बढ़ने की राह दिखाती है।