मेष राशि में प्रवेश करते ही सूर्य करेंगे कोरोना का अंत: आचार्य

प्रयागराज। ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु तथा शनि को सूक्ष्म जीवों के कारण उत्पन्न होने वाली महामारी का कारक ग्रह कहा गया है। कोई भी रोग किसी एक ग्रह के कारण नहीं होता। अनेक ग्रहों के संयोजन और राशियों के प्रभाव के कारण ही रोग उत्पन्न होता है। सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करेंगे तब उसके ताप से ही कोरोना वायरस का अंत सम्भव होता दिखेगा।
श्री शारदा ज्योतिष कार्यालय के आचार्य नागेश दत्त द्विवेदी ने ज्योतिषीय गणना को आधार बनाकर अन्य परेशानियों को नगण्य मानते हुए नोबल कोरोना वायरस रूपी आपदा का कारण और इससे कब तक मुक्ति मिलेगी, इसका अनुमान लगाते हुए बताया कि सूर्य आरोग्य का कारक है और यदि वह गोचर में कमजोर चल रहा हो तो भी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। वर्तमान में शनि की राशियों में जनवरी से सूर्य का गोचर हुआ है, जो कि मध्य फरवरी तक मकर राशि में और उसके बाद मध्य मार्च तक कुंभ राशि में रहेगा। इस प्रकार शनि की राशि में होने से सूर्य कमजोर स्थिति में होता है। बृहस्पति का काम है वृद्धि करना, तो इस रोग के फैलने में बृहस्पति भी मुख्य भूमिका निभा रहा है। इस प्रकार बृहस्पति और केतु की युति ने इसमें महत्वपूर्ण रोल निभाया और चीन के वुहान शहर से फैले इस बेहद खतरनाक वायरस ने आज एक महामारी का रूप ले लिया है।
आचार्य ने बताया कि मिथुन राशि से गले के रोग तथा कर्क राशि फेफड़े और जल संबंधित बीमारियों को दर्शाती है। कर्क और मिथुन राशि का पीड़ित होना आवश्यक है। वर्तमान में राहु का गोचर मिथुन राशि में ही चल रहा है तथा मंगल भी बृहस्पति और केतु के साथ धनु राशि में बैठकर पूर्ण रूप से मिथुन और कर्क राशि को देख रहा है। ऐसी स्थिति में मिथुन और कर्क दोनों ही राशियां पीड़ित हैं। चिकित्सकों के नतीजों से यह बात सामने आयी है कि जिन लोगों को शुगर या डिप्रेशन की बीमारी है, उन्हें कोरोना वायरस ज्यादा और जल्दी प्रभावित कर रहा है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि मधुमेह के लिए भी बृहस्पति और डिप्रेशन के लिए चन्द्रमा मुख्य रूप से जिम्मेदार ग्रह हैं। यह दोनों ही व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना देते हैं। उपरोक्त स्थितियां वर्तमान समय में कोरोना वायरस को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
गुरु को जीव तथा शनि को आमजन मानस का कारक भी माना जाता है। गोचर में जब यह दोनों ग्रह विशेष रूप से पड़ने वाले ग्रहण अथवा अन्य किसी ग्रहीय परिस्थिति से पीड़ित होते हैं, तब मानव सभ्यता को इस प्रकार के कोप का भाजन बनना पड़ता है। हालांकि, सूर्य जब अपने उच्च स्थान मेष राशि में प्रवेश करेंगे, तब भगवान भाष्कर के ताप से ही मानव सभ्यता के शत्रु बने कोरोना वायरस का अंत सम्भव होता दिखेगा। सूर्य 13 अप्रैल को अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे। वर्ष 2019 के आखिरी महीने में पड़े सूर्य ग्रहण को लेकर ज्योतिषियों ने पहले ही यह आशंका जाहिर कर दी थी कि वर्ष 2020 में प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध के कारण आर्थिक मंदी और राजनैतिक उठा पटक का सामना आम जनमानस को प्रभावित कर सकता है।

बाक्स–अमंगल को मंगल करेंगे यह दोनों ग्रह
आचार्य नागेश दत्त द्विवेदी ने कहा कि 22 मार्च की रात मंगल धनु राशि में केतु के कैद से आजाद होकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। 30 मार्च को गुरु भी केतु का अमंगलकारी साथ छोड़कर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इन दोनों बड़े ग्रहों का केतु की युति से मुक्त होकर मकर राशि में चले आना कोरोना वायरस के प्रकोप को कम करेगा। भारत के लिए स्थिति विशेषरूप से राहत देने वाली होगी, क्योंकि भारत की कुंडली में मकर राशि नवम स्थान में पड़ती है जो एक शुभ भाव हैं। वृषभ लग्न की भारत की कुंडली में नवम भाव में आकर मंगल और गुरु की शनि से युति होगी जो महामारी के रूप में फैले कोरोना के प्रकोप को कम करेंगे। बाद में 13 अप्रैल को 10 बजकर 40 मिनट पर सूर्य का मेष राशि में प्रवेश और 25 अप्रैल को बुध के भी मेष राशि में आकर सूर्य से युति करने के साथ तापमान में तेजी से वृद्धि होगी और भारत को कोरोना के कहर से मुक्ति मिलना प्रारम्भ हो जाएगी। विशेष रूप से मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ औन मीन यह छह राशि वाले जातकों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। विशेषतः यदि चीन की बात करें तो उसकी मुश्किलें आसान होते नहीं दिख रही हैं। उसका मुख्य कारण गुरु महराज हैं, जो निर्बल होते जा रहे हैं। जिसके चलते वह चीन को आर्थिक चोट के साथ साथ काफी मात्रा में जनहानि की क्षति पहुंचा सकते हैं, ग्रहों के भी संकेत शुभ नहीं दिख रहे।

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