मुख्यमंत्री योगी ने सरदार पटेल को दी श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले की सरकारों में कुछ लोग सिर्फ  अपना और अपने परिवार का सम्मान करना चाहते थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले साढ़े आठ वर्षों में इस भाव को किनारे कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब  देश में लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल समेत सभी राष्ट्र नायकों का सम्मान कर रहा है। सरदार पटेल की 147वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्र नायकों के प्रति सम्मान का भाव  निरंतर एक नई प्रेरणा प्रदान करता है।

सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लोगों को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री आवास से रन फॉर यूनिटी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जीपीओ पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया। सीएम योगी ने कहा कि आजादी के बाद कुछ सरकारों ने सरदार पटेल को विस्मृत करने का प्रयास किया।  लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी स्मृति में कई कार्यक्रम शुरू कराए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की जिस परिकल्पना को साकार किया जा रहा है वास्तव में इसके शिल्पी सरदार बल्लभभाई पटेल हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के लिए एक प्रेरणादायी देश बना हुआ है।

कश्मीर विकास की ऊंचाइयों को छू रहा है
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल जैसा महानायक जिस देश में हो वह आतंकवाद, उग्रवाद और भ्रष्टाचारियों के सामने घुटने नहीं टेक सकता। उन्होंने कहा कि देश में नक्सलवाद समाप्त हो रहा है। कश्मीर फिर से भारत के संविधान के दायरे में आकर विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पूर्वोत्तर के राज्यों में कभी उग्रवाद चरम पर था लेकिन आज वह राज्य भारत के अन्य राज्यों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में कोई दुश्मन भूमि का अतिक्रमण करने का प्रयास करता है तो वहां के लोग डट कर खड़े हो जाते हैं। उन्होंने कहा देश के युवाओं को सरदार पटेल के  बलिदान, योगदान और सपनों से अवगत होना चाहिए। जिन मूल्यों और आदर्शों के लिए इस राष्ट्र शिल्पी ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया था उसके लिए हम प्रयासरत रहे और उसे साकार करें।

अधिकारों के साथ कर्तव्य के प्रति भी जागरूक बने लोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में केवल अधिकारों की ही चर्चा नहीं होती है। वे दिन लद गए जब हम केवल ट्रेड यूनियन के ही नारे सुनते थे कि ‘हमारी मांगे पूरी हो चाहे जो मजबूरी हो’। आज देश का प्रत्येक व्यक्ति यह मानता है कि संविधान द्वारा हमें कुछ मौलिक अधिकार मिले हैं तो कुछ कर्तव्य भी तय किए गए है।

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