मुक्त विश्वविद्यालय में अटल जन्मोत्सव पर हुआ काव्य पाठ का आयोजन

प्रयागराज।
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज में सुशासन सप्ताह के अंतर्गत अटल जन्मोत्सव पर सोमवार को हिंदुस्तानी एकेडमी के सहयोग से काव्य संध्या का आयोजन किया गया। आमंत्रित कवियों को मुख्य अतिथि  सुनीत राय, डीआईजी रेंज, सीआरपीएफ, प्रयागराज, प्रोफेसर सत्यकाम, कुलपति, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय तथा  मनोज गौतम कमांडेंट आर ए एफ ने स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र से सम्मानित किया।
अतिथियों का स्वागत संयोजक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने किया। समारोह का संचालन डॉक्टर साधना श्रीवास्तव ने एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने इस अवसर पर अटल बिहारी बाजपेई  की कृति चुनी हुई कविताएं  कवियों और अतिथियों को भेंट की।
इस अवसर पर आमंत्रित कवियों ने अपनी रचनाओं से जमकर तालियां बटोरी और माहौल को गुंजायमान कर दिया। युवा कवियत्री मिस्बाह इलाहाबादी ने अटल जी की शख्सियत को याद करते हुए कहा साफ सुथरी तबीयत के मालिक थे तुम। तुम सभी के लिए गंगाजल हो गए। भूल सकता नहीं कोई तुमको कभी। तुम अटल थे अटल से अटल हो गए।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर  वशिष्ठ अनूप, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने शानदार रचना प्रस्तुत करते हुए कहा तुलसी के जायसी के रसखान के वारिस हैं ।  कविता में हम कबीर के ऐलान के वारिस हैं। हम सीकरी के आगे माथा नहीं झुकाते। कुंभन की फकीरी के अभिमान के वारिस हैं।
मुकेश मानक, कानपुर ने बड़ी गंभीरता से सुनाया थोड़ी इचकी लिया क्या सांसों ने, लोग समझे कि मर चुका हूं मैं।
डॉ कमलेश राय ने सुनाया नेह बिरवा संजो के देख दत। बीज ऊसर में बोके देखत दत। दु:ख का केतना सहे के। एक दिन राम होके देख दत।
 डॉक्टर विनम्र सेन सिंह ने जिंदगी के अर्थ को परिभाषित करते हुए कहा जिंदगी के रास्ते पर अब ठहर कर चलना जरुरी है, लोग कहते हैं डरो मत पर अब तो डरना भी जरुरी है। हैं बहुत नकली यहां रिश्ते इसलिए ये याद रखना तुम,  हो कोई कितना भी नजदीकी पर उचित दूरी जरुरी है।
कवि पीयूष मालवीय ने सुनाया कवि वंश  विभूषण कलमकार,  जग रुदन करे तुमको पुकार। यम की थी कैसी यह कटार ? जिससे तुमने ठानी न रार।
डॉ श्लेश गौतम ने आमंत्रित कवियों में जोश भरते हुए कहा लिखा किया रह जाएगा, रहता नहीं शरीर।  इसीलिए मरते नहीं तुलसी सूर कबीर।
अमित शुक्ला रीवा की हास्यपूर्ण रचनाओं ने  माहौल में रंगत पैदा कर दी। उनकी यह गंभीर रचना बहुत पसंद की गई। डर है तुमको तो मत आना,  बिटिया तुम बस रानी बनकर। आना हो धरती में तो, आओ तुम मर्दानी बनकर।
अतुल बाजपेई, लखनऊ की देश भक्तिपूर्ण रचना मैं भारत हूं  ने पूरे सभागार में जोश भर दिया।
राधा शुक्ला प्रयागराज ने नारी शक्ति की मजबूती के लिए सुनाया मजबूर नहीं मजबूत बनेगी अब नारी, हंस कर अपना जीवन काटो तुम प्यारी। ओ गृहणी गृह के कार्य अंतहीन होते हैं। तो स्वत: हेतु कुछ श्रम कर लो प्यारी नारी।
डॉ वंदना शुक्ला प्रयागराज ने सुनाया महिमा जिसकी अद्भुत अपार, कल कल जमुना की धवलधार। जय-जय त्रिवेणी जय, जय प्रयाग जय पुण्य भूमि जय संस्कार।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुनीत राय कमांडेंट आर ए एफ,  मनोज गौतम, कमांडेंट आर ए एफ,  गोपाल जी पाण्डेय प्रशासनिक अधिकारी हिंदुस्तानी एकेडमी आदि उपस्थित रहे।
इसी क्रम में अटल सुशासन सप्ताह के अंतर्गत 24 दिसंबर 2024 को लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में अपराह्न 3:00 बजे लोकतंत्र में नैतिक मूल्य विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी  का आयोजन किया गया है। जिसके मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता  मिथिलेश नारायण, क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, पूर्वी उत्तर प्रदेश, लखनऊ तथा विशिष्ट अतिथि  राधाकांत ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज होंगे। संगोष्ठी के अध्यक्षता प्रोफेसर सत्यकाम, कुलपति, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय करेंगे।

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