विमलेश मिश्र
प्रयागराज ! संगम के किनारे अक्षयवट के सामने अरैल घाट पर चल रही मोरारीबापू की नौ दिवसीय राम कथा “मानस अक्षयवट” का रविवार को समापन हो गया । सन्त कृपा सनातन संस्थान, नाथद्वारा राजस्थान की ओर से 29 फरवरी से चल रही राम कथा में देश विदेश के विभिन्न हिस्सों से हजारों श्रोता गण राम कथा का श्रवण करने प्रयागराज पहुंचे। अंतिम नौवें दिन की राम कथा के बाद जब व्यासपीठ से “मानस अक्षयवट” के विराम की घोषणा हुई तो कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई। श्रद्धालुओं की अश्रुधारा फूट पड़ी। मोरारीबापू की भी आंखे नम हो गई और बापू ने सभी श्रोताओं को आशीर्वाद दिया। श्रद्धालुओं ने जय सियाराम के जयकारें लगाए और भावभीनी भीगी आंखों से सब ने एक दूसरे को गले लग कर विदाई दी। नौ दिन तक मानस अक्षयवट की चर्चा और रामकथा का साथ साथ श्रवण करते करते श्रोताओं में परस्पर प्रेम जाग गया ,पंडाल में मौजूद श्रोता कथा की समाप्ति पर भरे नेत्रों से विदा हुए
त्रिवेणी की तरह बहती रहेगी रामकथा की धारा
बापू ने सत्य,प्रेम और करुणा का सूत्र देते हुए कहां की राम का सुमिरन करो ,राम का गायन करों और राम के गुण गाओं ,जब तक गंगा यमुना और सरस्वती की धारा इस धरा पर बहेगी तब तक रामकथा की धारा भी बहेगी
महिला दिवस की दी बधाई, मातृशक्ति के बताएं रूप
“मानस अक्षयवट” रामकथा के तहत मोरारीबापू ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सबको बधाई दी। बापू ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में सदैव मातृ शक्ति को आगे रखा गया है। हमनें सदैव सियाराम, राधेश्याम, उमाशंकर में मातृ को आगे रखा है। बापू ने महाभारत का संदर्भ बताते हुए कहा कि महाभारत में मातृ शक्ति की वंदना करते हुए आठ रूप बताए गए है। यह मातृ कज आठ भुजाएं है, हाथ है, हाथ यानी कर्म है। बापू ने कहा कि मातृ को धनम कहा गया है अर्थात वही धन का संरक्षण करती है। दूसरे रूप में मातृ को प्रजाहा बताया गया है यानी वही है जो अपनी प्रजा, अपने परिवार की रक्षक है। तीसरे रूप में मातृ शरीरम कहा गया है,यानी जो अपने बच्चों के पोषण का ख्याल रखे, खुद भूखी रहे पर उनके पोषण का ध्यान रखती है। चौथे स्वरूप में मातृ लोकयात्राम है अर्थात मानव की लोकयात्रा में मातृ शक्ति सदैव साथ रहती है, माँ सीता भी राम की लोकयात्रा में साथ थी। बापू कहते हैं कि राम की वनवास यात्रा लोक यात्रा थी, अंतिम मानव तक पहुंचने की यात्रा थी। पांचवे रूप में मातृ शक्ति धर्मम है यानी मातृ ही धर्म, त्यौहार को मनाने वाली है। मातृ शक्ति स्वर्गम है, वह घर को स्वर्ग बनाने वाली है। मातृ शक्ति ऋषि परंपरा का दायित्व करने वाली और पितरों का उद्धार करने वाली है।
होली पर केमिकल रंगों से करे परहेज, कोरोना से करे बचाव
राम कथा के दौरान मोरारीबापू ने होली की सबको बधाई देने के साथ ही होली पर कोरोना वायरस से खुद को बचाव करने के लिए भी कहा। बापू ने कहा कि जिस प्रकार विश्वभर में यह बीमारी फैल रही है उसे देखते हुए आप होली में ऐसे रासायनिक रंगों से परहेज करें जो नुकसान पहुंचाते हैं। आप पानी का भी कम उपयोग करें होली में और साथ ही कोरोना वायरस से बचाव के लिए बताएं जा रहे उपायों को अपनाएं। मोरारीबापू ने कहा कि अकारण अपने मुंह पर हाथ न लगाए, हाथ धोते रहे, लोगों से दूरी रखे। इसके अलावा लोगों से हाथ मिलाने से परहेज करें और नमस्ते से ही काम चलाएं। अपने मुंह पर मास्क बांधे। बापू ने कहा कि सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, वायु सब औषधियां है, लेकिन हम इनको भूल गए है, इन्हें प्रदूषित कर दिया है। बापू ने कहा कि आप बीमारी से बचाव करें, कृपा प्रभु करेगा। उन्होंने कहा कि भगवान को संकट में ही याद नहीं करना चाहिए। प्रार्थना शांति में करनी चाहिए।
बाप-बेटी का रिश्ता अद्भुत
“मानस अक्षयवट” के दौरान मोरारीबापू ने कहा कि बाप और बेटी का प्रेम अद्भुत होता है। बाप और बेटी का रिश्ता बहुत अलग होता है। बेटी की विदाई बड़ों, बड़ों को ढीला कर देती है। बापू ने इस दौरान पोस्ट ऑफिस नामक बाप और बेटी के प्रेम को सपर्पित मार्मिक कथा सुनाई। कथा के दौरान मोरारीबापू ने अक्षयवट की महिमा महिमा बताई और अक्षयवट का गुणगान किया,बापू ने अक्षयवट को प्रमाण किया। “मानस अक्षयवट” कथा अवसर पर कथा के मुख्य आयोजक मदन पालीवाल, रविन्द्र जोशी, रूपेश व्यास, विकास पुरोहित ,विष्णु कांत व्यास, मंत्रराज पालीवाल, सतुआ बाबा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने व्यासपपीठ की आरती उतारी और बापू से आशीर्वाद प्राप्त किया