प्रयागराज। तीर्थराज प्रयाग में संगम की रेती पर चल रहे माघ मेले चतुर्थ मुख्य स्नान पर्व बसंत पंचमी पर गुरूवार को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। संगम और गंगा के विभिन्न घाटों पर गंगा, जमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी संगम तट पर भोर से ही श्रद्धालुओं का स्नान जारी है।
बसंत पंचमी की तिथि यद्यपि बुधवार को ही प्रारम्भ हो गई थी, लेकिन उदया तिथि में गुरूवार को भी पंचमी का योग होने के कारण पूरे दिन बसंत नहान का महत्व है। अच्छी धूप के कारण स्नान करने आए श्रद्धालुओं को काफी राहत मिली। स्नान के बाद लोगों ने घाटों पर पूजन-अर्चन किया और दान भी दिया। स्नान ध्यान के बाद लोगों ने संगम तट पर ही घर से बनाकर अपने साथ लाये खाद्य सामग्री का सेवन किया, वहीं कुछ लोगों ने अन्न क्षेत्र में प्रसाद ग्रहण किया। मेला क्षेत्र में आज विभिन्न पंडालों में मां सरस्वती का पूजन भी आयोजित किया गया।
बसन्त पंचमी के अवसर पर जहां प्रयागराज आए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी सहित स्वतंत्र देव सिंह, सिद्धार्थ नाथ सिंह, महेन्द्र सिंह, नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी आदि मंत्रियों ने संगम में डुबकी लगायी। वहीं जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ, शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी, कैवल्य धाम के पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज, मौनी बाबा समेत अनेक साधु संतों और कल्पवासियों ने भी आज संगम स्नान किया।
मेले में शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत आरएएफ, पीएसी तथा नागरिक पुलिस के जवानों द्वारा उिन भर सतत निगरानी रखी गयी। सुरक्षा व्यवस्था में लगे जवान मेले में आने वाले जनसमूह पर लगातार निगाह रखे हुए हैं। मण्डलायुक्त आशीष कुमार गोयल, जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी, कुम्भ मेलाधिकारी रजनीश मिश्रा और समेत अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी भी मेला क्षेत्र और स्नन घाटों का भ्रमण कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की पांचवी तिथि को श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन ज्ञान-विज्ञान, संगीत, कला और बुद्धि की देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी के दिन खासतौर पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता सरस्वती ने ही संसार में सभी प्राणियों को वाणी का दान दिया था। इसीलिए भगवान कृष्ण ने माता सरस्वती को आशीर्वाद दिया था कि माघ माह की शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन सभी उनकी पूजा करेंगे।