प्रयागराज । उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी महापौर द्वारा छठ पूजा के दृष्टिगत काली घाट,मौजगिरी बाबा, नये पुल के नीचे का घाट, राम घाट, संगम नोज, दशासुमेध घाट का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के समय पार्षद संजय ममगई,अमरजीत यादव,सुदर्शन चन्द्रा जोनल अधिकारी गण, सतीश कुमार मुख्य अभियन्ता,डा0 अभिषेक सिंह नगर स्वास्थ्य अधिकारी,उत्तम वर्मा, पर्यावरण अभियन्ता, संघ भूषण जोनल अभियन्ता जलकल संजय कटियार मुख्य अभियन्ता विधुत आदि उपस्थित रहे।
सर्वप्रथम काली घाट व मौजगिरी घाट का निरीक्षण किया गया निरीक्षण में पाया गया कि घाट की सफाई का कार्य चल रहा था परन्तु घाट पर काफी दलदल होने के कारण नहाने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पडे़गा। महापौर द्वारा तत्काल उक्त घाटों को त्वरित गति से ठीक कराकर नहाने लायक बनाने का आद ेश दिया गया।
नये पुल के नीचे के घाट पर काफी गन्दगी पायी तथा एप्रोच रोड पर दल दल पाया गया जिसे तत्काल ठीक कराने के आदेश दिये गये।
संगम नोज पर मेला प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जा रही थी दरेशी आदि का कार्य होता पाया गया। राम घाट पर व्यवस्था सही नहीं पायी गयी घाट तक जाने वाला मार्ग क्षतिग्रस्त पाया गया तथा वहॉ पर उपास्थित मेला प्रशासन के प्रतिनिधि से एक छोर से दूसरे छोर तक के घाट का निर्माण तत्काल कराये जाने हेतु उनके द्वारा लगायी गयी जे0सी0बी0 के अतिरिक्त नगर निगम द्वारा एक जे0सी0बी0 तत्काल उपलब्ध करा कर कार्य कराये जाने के आदेश दिये गये। इस सम्बन्ध में दूरभाष पर ए डी एम मेला विवेक चर्तुवेदी पर आदेश दिये गये कि मेला के पूर्व सभी कार्य करा दिये जाय।
इसके अतिरिक्त सभी घाटों के आस पास बड़ी मात्रा में लक्ष्मी गणेश एवं अन्य भगवानों की मूर्तियॉ बेतरतीब ढंग से बिखरी पायी गयी। नगर निगम के जोनल अधिकारी को आदेश दिये गये कि तत्काल मूर्तियों को एक जगह एकत्रित कर गंगा में प्रवाहित कराने की कार्यवाही की जाय।
महापौर द्वारा शहर की जनता से अपील की गयी है कि वह अपने घरों से निकाली पुरानी मूर्तियों को घाट पर बने गड्ढों में डाले इधर उधर न फेके।
महापौर द्वारा उपस्थित सभी सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि पूर्व वर्षो की भॉति मेले से पूर्व सभी व्यवस्थायें सुनिश्चित की जाय जैसे घाट को नहाने योग्य तैयार कराना,समुचित सफाई,चूने का छिड़काव, फागिंग, घाटो पर अस्थाई मार्ग प्रकाश व्यवस्था ,शुद्व पेयजल की आपूति टैंकर, मोबाईल टायलेट, चेंजिंग रूम का निर्माण की व्यवस्था आदि। उक्त में किसी प्रकार की शिथिलता न बरती जाय।