मकर संक्रांति पर बना रहा है विशिष्ट संयोग

हिंदू धर्म में भगवान सूर्य के पूजन का सबसे बड़ा पर्व मकर संक्रांति या उत्तरायण है। इस दिन पूरे भारतवर्ष के हर क्षेत्र में कोई न कोई त्योहार मानाया जाता है। इस दिन असम में बीहू तो दक्षिण भारत में पोंगल का त्योहार होता है, गुजरात, महराष्ट्र में इस दिन उत्तरायणी का त्योहार मानाया जाता है। इसके एक दिन पहले पंजाब प्रांत में लोहड़ी का त्योहार मनाते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। साथ ही इसी दिन सूर्य उत्तरायण में जाता है। जिस कारण देश में ठण्ड के मौसम की समाप्ति होने लगती है और दिन बड़े होना शुरू होजाते हैं। इसलिए इस दिन पूरे देश में कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति पर कुछ विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं इसके बारे में…

मकर संक्रांति के विशिष्ट संयोग-

मकर संक्रांति का पर्व प्रत्येक वर्ष 14 या 15 जनवरी को पड़ता है। ये पर्व सूर्य पर आधारित होने के कारण इसकी तिथि में विशेष परिवर्तन नहीं होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल भी मकर संक्राति का पर्व 14 जनवरी, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस बार मकर संक्रांति की शुरूआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है। जो कि शाम को 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस नक्षत्र को शुभ नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र में स्नान दान और पूजन करना शुभफलदायी होता है। इसके साथ ही इस दिन ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है जो कि भी अनंत फलदायी माना जाता है।

मकर संक्रांति का महात्म –

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति या उत्तरायण का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों विशेषकर गंगा-यमुना और उनके संगम पर प्रयागराज में स्नान करना मोक्षदायनी माना गया है। इस दिन गंगा सागर के तट पर भी मेले का आयोजन होता है। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ और चावल-दाल की खिचड़ी खाने और दान देने की परंपरा है। इसके साथ इस दिन पतंग उड़ाने का भी रिवाज है। मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। जो सभी रोग-दोष से मुक्ति प्रदान करते हैं।

Related posts

Leave a Comment