केरल में मंकीपॉक्स से युवक की मौत पर किए गए देश के पहले अध्ययन में वैज्ञानिको को वायरस का ए.2 स्वरूप मिला है, जो अमेरिका और यूरोपीय देशों में फैले वैरिएंट से एकदम अलग है।
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में ही दुनिया के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं और वहां मंकीपॉक्स वायरस का कांगो वैरिएंट अधिक पाया जा रहा है, जिसे गंभीर माना जा रहा है।
इससे पहले, नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर के आईजीआईबी संस्थान के शोधार्थियों ने एक अध्ययन के जरिए भी केरल के पहले दो मंकीपॉक्स संक्रमित मरीजों में वायरस के ए.2 स्वरूप की पुष्टि की थी। यह स्वरूप काफी समय पहले से प्रसारित है। साथ ही भारत के 12 में से 10 मरीजों में इसी स्वरूप की पुष्टि जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए हुई है।
वैज्ञानिकों ने साफ तौर पर कहा है कि युवक की मौत इन्सेफ्लाइटिस रोग के चलते हुई है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें रोगी के मस्तिष्क में सूजन होने लगती है और धीरे-धीरे वह कोमा में जाने लगता है।
देश में अस्वीकृत एंटीबायोटिक पर लैंसेट की रिपोर्ट भ्रामक
भारत में अस्वीकृत एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर हाल ही में आए एक अध्ययन को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिल्ली एम्स के पूर्व डॉक्टर ने भ्रामक और अनुचित बताया।
अध्ययन में कहा गया कि साल 2019 में भारत में बिकीं 47 फीसदी एंटीबायोटिक दवाओं के फॉर्मूलेशन को मान्यता नहीं दी गई थी। इस अध्ययन को लेकर दिल्ली एम्स के पूर्व वरिष्ठ डॉ. वाई के गुप्ता ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है।