संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना भारत ने गुरुवार को आतंकियों को पनाह देने वालों पर निशाना साधा। भारत ने कहा कि उन लोगों को बुलाएं, जो आतंकियों को सुरक्षित आश्रय मुहैया कराते हैं। उन्हें बुलाएं, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रतिबंधों सहित उनके बचाव में आते हैं। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने घाना की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की खुली बहस में भाग लेते हुए यह बात कही। बैठक का विषय ‘शांति स्थापना और स्थायी शांति’ था।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से उत्पन्न खतरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट आवाज की जरूरत है। हमें मेजबान राज्य के सुरक्षा बलों की क्षमताओं को मजबूत करना चाहिए, वित्तीय संसाधनों तक आतंकवादी ताकतों की पहुंच रोकने के लिए हाथ मिलाना चाहिए और सामूहिक रूप से उन लोगों को बुलाना चाहिए जो आतंकवादियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं। पिछले पांच महीनों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को नामित करने के भारत और अमेरिका के कई प्रस्तावों में बाधा डाली है।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी ने कहा कि उसके निरीक्षकों को रूस के इस दावे के समर्थन में कोई सबूत नहीं मिला कि यूक्रेन मॉस्को पर दोष मढ़ने के इरादे से एक रेडियोधर्मी ‘डर्टी बम’ बना रहा और विस्फोट करने वाला है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा कि यूक्रेन सरकार के अनुरोध पर निरीक्षणों में अघोषित परमाणु गतिविधियों और सामग्रियों का कोई संकेत नहीं मिला। एजेंसी ने कहा कि उसके विशेषज्ञों ने यूक्रेन में तीन स्थानों पर निरीक्षण किया और उन्हें उन जगहों तक निर्बाध पहुंच प्रदान की गई।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंजिया ने पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्यों को लिखे एक पत्र में दावा किया था कि यूक्रेन की परमाणु अनुसंधान सुविधा और खनन कंपनी को इस तरह के डर्टी बम को विकसित करने के लिए राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से आदेश प्राप्त हुए थे। यूक्रेन ने इन आरोपों का खंडन किया था।