भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करेगा जर्मनी, हिंद प्रशांत क्षेत्र पर भी है नजर

जर्मनी अब खुल कर हिंद प्रशांत क्षेत्र की गतिविधियों के मद्देनजर भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने की वकालत करने लगा है। भारत के दौरे पर आये रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में आपसी रक्षा संबंधों को लेकर काफी विस्तार से चर्चा हुई है लेकिन इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को लेकर खास तौर पर विमर्श हुआ।

बाद में पिस्टोरियस ने कहा कि, ”हम भारत के साथ रक्षा साझेदारी को बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि हम भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में आने वाले वर्षों में क्या होगा।” जर्मनी के रक्षा मंत्री का यह बयान अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन की तरफ से हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत को अगुवाई करने के आह्वान के एक दिन बाद आया है।

रक्षा उपकरणों की आपूर्ति को लेकर हुई है बात

यह इस बात का प्रमाण है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक गतिविधियों के मद्देनजर अमेरिका व पश्चिमी देश भारत के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाने को कितनी वरीयता दे रहे हैं। वैसे भारत को भी अपनी रक्षा जरूरतों के लिए इन देशों की जरूरत है। जैसे राजनाथ सिंह और बोरिस पिस्टोरियस के बीच वार्ता में ऐसे बहुत सारे रक्षा उपकरणों की आपूर्ति को लेकर बात हुई है जिसकी भारत को जरूरत है।

रक्षा मंत्रालय ने दी जानकारी

यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से भारत को अपने के9 वज्र तोपों के लिए आवश्यक ईंधन पंप की आपूर्ति में कुछ बाधा आ रही है जिसे वह जर्मनी से लेना चाहता है। माना जा रहा है कि भारत की तरफ से जर्मनी को उन रक्षा उपकरणों की सूची दी गई है, जिसकी आपूर्ति को लेकर वह इच्छुक है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि बैठक में भारत की तरफ से जर्मनी की रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को उत्तर प्रदेश व तमिलनाडु के डिफेंस कारीडोर में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इससे भारतीय कंपनियां जर्मनी की रक्षा आपूर्ति सिस्टम में भी हिस्सा ले सकेंगी।

दोनो मंत्रियों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर हुआ विचार-विमर्श

दोनो मंत्रियों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग की राह में आने वाले नियमों संबंधी अड़चनों को दूर करने को लेकर भी विमर्श हुआ है। दोनो देशों के बीच पनडुब्बी आपूर्ति की संभावनाओं पर भी बात हुई है। भारत छह पारंपरिक डीजल चालित पनडुब्बियां खरीदने को इच्छुक है। जर्मनी के रक्षा मंत्री ने बाद में बताया कि इस बारे में बातचीत हुई है लेकिन अभी अंतिम तौर पर कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत को पनडुब्बी आपूर्ति करने के मामले में जर्मनी काफी अच्छी स्थिति में है।

अमेरिका व दूसरे देशों की बढ़ रही नौसैनिक गतिविधियां

माना जाता है कि भारत सरकार ने अभी तक इस बारे में जिस देश की कंपनियों को चिन्हित किया है, उसमें जर्मनी कंपनी का प्रस्ताव काफी बेहतर स्थिति में है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में जिस तरह से चीन, अमेरिका व दूसरे देशों की नौसैनिक गतिविधियां बढ़ रही हैं उसे देखते हुए भारत कई तरह की पनडुब्बियां खरीदने पर विचार कर रहा है। सिर्फ पारंपरिक छह पनडुब्बियों पर भी भारत 43,000 करोड़ रुपये खर्च करने को तैयार है।

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