भारतीय हॉकी स्टार Amit Rohidas कैसे बने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फर्स्ट रशर और Penalty Corner Specialist

भारतीय हॉकी स्टार अमित रोहिदास का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां सीमित साधन ही उपलब्ध थे। उनके पास सिर्फ एक ही विकल्प था, वो ये कि परिवार की किस्मत को बदलने के लिए जोखिम जरुर उठाए। उन्होंने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व ओलंपियन, दिलीप टिर्की, जो कि ओडिशा के सुंदरगढ़, रोहिदास के ही गांव हैं, से प्रेरित होकर हॉकी को आगे बढ़ाने का फैसला किया था। हॉकी में उन्होंने सबसे मुश्किल काम को चुना था, जो कि पहला धावक बनने के साथ एक पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ बनना था।

एक ऐसा खेल जिसमें पेनल्टी कॉर्नर सबसे लोकप्रिय स्टेल में शामिल है, यहां पहले दौड़ने वाले का काम सीधे ड्रैग-फ्लिकर पर दौड़ना और शॉट मारना होता है। खासतौर से जब गेंद 100 किमी प्रति घंटे की भी अधिक गति से आती है तो डर की आंखों में देखना उसका काम है, न कि घबराना और स्ट्रोक को रोकना, भले ही इसके लिए शरीर पर दर्दनाक प्रहार का सामना करना पड़े।

जानें रोहिदास के बारे में

रोहिदास ने 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और अब तक 171 मैच खेले हैं, जिसमें 28 गोल किए हैं, जिनमें से अधिकांश पेनल्टी कॉर्नर से आए हैं। वर्ष 2017 से अपनी पोजिशन पर वो नियमित हैं जहां उन्होंने अपने मजबूत बचाव के साथ जगह पक्की कर ली है। वो टीम का एक अभिन्न अंग है। टीम के लिए उनकी सबसे बड़ी उपयोगिता फर्स्ट रशर के रूप में उनका अटूट प्रदर्शन है जिसने उन्हें दुनिया में काम में सर्वश्रेष्ठ बना दिया है। उन्होंने कहा कि अगर मैं पिच से बाहर हूं, तो मनप्रीत (सिंह) को पहला रशर नामित किया गया है, लेकिन अगर मैं पिच पर हूं, तो मैं पहला रशर हूं। यह टीम और कोच द्वारा तय किया गया है। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक मैच में भारत द्वारा जर्मनी को हराने के पीछे रोहिदास की बहादुरी प्रमुख ताकतों में से एक थी।

फर्स्ट रशर का सिक्रेट

उन्होंने कहा कि ये काफी मेहनत वाली नौकरी है। अगर झटका खाने के बाद भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं तो सबसे पहले ऐसा खिलाड़ी बनना होगा जो दौड़ने में माहिर हो। ये जोखिम भरा काम है, जिसके लिए लंबा संघर्ष करना होता है। इसके लिए खुद पर आत्मविश्वास भी होना जरुरी है। आमतौर पर एक गेंद 100 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से आती है। इस गेंद के पीछे दौड़ते समय सबसे महत्वपूर्ण बात सही तकनीक का होना है। रन तब बनता है जब गेंद ड्रैग-फ्लिकर की ओर खेली जाती है लेकिन रन के पीछे की योजना बहुत पहले से शुरू हो जाती है। आम तौर पर यह माना जाता है कि रशर्स की निगाहें पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ पर टिकी होती हैं। रोहिदास बताते हैं कि रशर्स का ध्यान पुशर पर अधिक होता है। पुशर या इंजेक्टर वह होता है जो ड्रैग-फ्लिक के लिए गेंद को बैकलाइन से सर्कल के किनारे तक पास करता है।

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