संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने रूस-यूक्रेन के बीच छह महीने से जारी संघर्ष पर भारत का पक्ष रखा। रुचिरा कंबोज ने कहा कि “हम यूक्रेन की परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा और सुरक्षा के संबंध में किए जा रहे कार्यों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। भारत इसे बहुत महत्व देता है, क्योंकि परमाणु संयंत्रों से जुड़ी किसी भी दुर्घटना के सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।”
भारत जैपोरिझिया (Zaporizhzhia) परमाणु ऊर्जा संयंत्र (ZNPP) की स्थिति को लेकर चिंतित है। हम तनाव को कम करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदम की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रयासों सहित चल रहे अन्य प्रयासों का समर्थन करते हैं।बता दें कि आज (24 अगस्त) रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को पूरे छह महीने हो चुके हैं। रूस ने आज से छह महीन पहले 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ संघर्ष शुरू किया था।
परमाणु संयंत्र के पास गोलीबारी से बढ़ा एटमी हादसे का जोखिम
जैपोरिझिया परमाणु संयंत्र को रूस के कब्जे से मुक्त कराने के लिए यूक्रेन लगातार उन रूसी सैनिकों को निशाना बना रहा है, जो पावर प्लांट में मौजूद हैं। पावर प्लांट के आपपास जारी दोतरफा गोलीबारी से बड़े परमाणु हादसे का जोखिम बढ़ता जा रहा है। जी-7 ने परमाणु तबाही के डर से रूस से अपील की है कि पावर प्लांट से सैनिकों को वापस बुला ले। उधर, हादसे के डर से संयंत्र के पास के इलाके खाली होने लगे हैं।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कुछ दिन पहले कहा था कि जैपोरिझिया में मौजूद हर वो रूसी सैनिक, जो पावर प्लांट पर गोलियां चला रहा है या यूक्रेनी सैनिकों को निशाना बना रहा है, यूक्रेनी सेना और स्पेशल फोर्स के खास निशाने पर हैं। यहां से इनका बचकर जाना नामुमकिन होगा।
निप्रो नदी पर दक्षिणी तट पर बना यह परमाणु संयंत्र अभी रूसी सेना के कब्जे में है, जबकि तट के दूसरी तरफ शहरी इलाके पर यूक्रेनी सेना का कब्जा है। यूक्रेन का आरोप है कि परमाणु संयंत्र की आड़ में रूस शहरी इलाके पर जबरदस्त बमबारी कर रहा है, लेकिन यूक्रेनी सेना परमाणु हादसे के डर से इसका जवाब नहीं दे पा रही है।