उत्तर मध्य रेलवे के सभी यात्री मार्ग के स्टेशन हुए पूर्णत: मैकेनिकल इंटरलॉकिंग रहित*
प्रयागराज। उत्तर मध्य रेलवे ने महाप्रबंधक प्रमोद कुमार के कुशल मार्ग–दर्शन में एक और उपलब्धि हासिल की। ज्ञात हो कि, उत्तर मध्य रेलवे के एक मात्र शेष खैरार-भीमसेन रेल खंड पर स्थित भरुआसुमेरपुर स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के संस्थापन कार्य पूर्ण कर लिया गया । उत्तर मध्य रेलवे के झाँसी मंडल का यह स्टेशन मैकेनिकल इंटरलॉकिंग युक्त अंतिम स्टेशन था, जिसको अब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से युक्त कर दिया गया है | उक्त संस्थापन के साथ ही उत्तर मध्य रेलवे अब पूर्णतः मेकेनिकल इंटरलॉकिंग से मुक्त हो गया है |
भरुआसुमेरपुर स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का संस्थापन और पुराने इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिग्नलिंग (उत्तर मध्य रेलवे का अंतिम स्टेशन) के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग कार्य को स्टैण्डर्ड-II इंटरलॉकिंग के साथ सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली सिग्नलिंग की अत्याधुनिक प्रणाली है, जिसके प्रयोग से लीवर खेंचकर लाइन बदलने वाली प्रथा समाप्त हो गयी है, जिसके साथ-साथ मैन पॉवर की भी बचत हुई है, अब यह कार्य एक केंद्रीयकृत स्थान से बटन दबाकर कर लिया जाता है | पुराने इलेक्ट्रो-मैकेनिकल इंस्टॉलेशन के बदले में नयी इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का संस्थापन संरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्व उपलब्धि है । उक्त संस्थापन के साथ उत्तर मध्य रेलवे भी पूर्णत: मैकेनिकल इंटरलॉकिंग रहित हो गया है |
अभी हाल ही में उत्तर मध्य रेलवे ने 100 % विद्युतिकृतकरण की उपलब्धि हासिल की है, इसी क्रम में यह उपलब्धि उत्तर मध्य रेलवे के निरंतर अवसंरचनात्मक विकास का उदाहरण है |
उक्त संस्थापन में प्रधान मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर एम.के. बेउरा, मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर/ परियोजना (समन्वय) सतेंद्र कुमार, मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर/ परियोजना भूलेंद्र सिंह सहित सम्पूर्ण सिग्नल एवं टेलिकॉम टीम द्वारा अहम् भूमिका निभायी गयी है |