प्रयागराज।आर्य भवन जीरो रोड के मंदिर में विश्राम कर रहे भगवान जगन्नाथ जी के प्रांगण में श्री जगन्नाथ जी महोत्सव समिति के अध्यक्ष गोवर्धन दास गुप्ता ने भगवान जगन्नाथ जी की कथा के पांचवे दिन भक्तों को कथा सुनाते हुए पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ जी की मंदिर के आठ चमत्कार का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर के आठ चमत्कार को देख कर दुनिया आज भी आश्चर्य में है उन्होंने कहा कि पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ जी के श्रीमंदिर का पहला रहस्य हवा के विपरीत लहराता ध्वज :श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
यह भी आश्चर्य है कि प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है। ध्वज भी इतना भव्य है कि जब यह लहराता है तो इसे सब देखते ही रह जाते हैं। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।
आगे दूसरा चमत्कार को बताते हुए कहा कि
गुंबद की छाया नहीं बनती : यह दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है। आगे
तीसरा चमत्कार. को बताते हुए कहा कि चमत्कारिक सुदर्शन चक्र : पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह अष्टधातु से निर्मित है और अति पावन और पवित्र माना जाता है। आगे
चौथा चमत्कार के बारे में बताते हुए कहा कि
हवा की दिशा : सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है।
अधिकतर समुद्री तटों पर आमतौर पर हवा समुद्र से जमीन की ओर आती है, लेकिन यहां हवा जमीन से समुद्र की ओर जाती है। आगे उन्होंने
पांचवां चमत्कार के बारे में बताते हुए कहा कि
गुंबद के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी : मंदिर के ऊपर गुंबद के आसपास अब तक कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया। इसके ऊपर से विमान नहीं उड़ाया जा सकता। मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते नजर नहीं आते, जबकि देखा गया है कि भारत के अधिकतर मंदिरों के गुंबदों पर पक्षी बैठ जाते हैं या आसपास उड़ते हुए नजर आते हैं। आगे
छठा चमत्कार के बारे में बताते हुए कहा कि
दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर : 500 रसोइए 300 सहयोगियों के साथ बनाते हैं भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद। लगभग 20 लाख भक्त कर सकते हैं यहां भोजन। कहा जाता है कि मंदिर में प्रसाद कुछ हजार लोगों के लिए ही क्यों न बनाया गया हो लेकिन इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है। मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती।
मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है। और आगे उन्होंने
सातवां चमत्कार. का वर्णन करते हुए कहा कि समुद्र की ध्वनि : मंदिर के सिंह द्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही मंदिर के अंदर से आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप मंदिर के बाहर से एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है। और इसी तरह मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है, जहां पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शव जलाए जाते हैं लेकिन जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे तभी आपको लाशों के जलने की गंध महसूस होगी। और
आठवां चमत्कार. का वर्णन करते हुए कहा कि
रूप बदलती मूर्ति : यहां श्रीकृष्ण को जगन्नाथ कहते हैं। जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। तीनों की ये मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं।यहां प्रत्येक 12 साल में एक बार होता है प्रतिमा का नव कलेवर। मूर्तियां नई जरूर बनाई जाती हैं लेकिन आकार और रूप वही रहता है। कहा जाता है कि उन मूर्तियों की पूजा नहीं होती, केवल दर्शनार्थ रखी गई हैं। आगे उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ जी की मंदिर की रक्षा का कार भार हनुमान जी महाराज करते हैं जिस कारण सागर के द्वारा कोई भी तूफान जब आता है तो मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा पाता
इस अवसर पर समिति के द्वारा जड़ी बूटी से निर्मित भगवान जगन्नाथ जी को औषधि का भोग लगाया गया और भक्तों ने प्रभु के स्वस्थ होने की कामना करते हुए शीघ्र दर्शन देने की प्रार्थना की
इस अवसर पर बसंत लाल आजाद ,जय राम गुप्ता, राजेश केसरवानी, मोहित कुमार,जयराम गुप्ता ,दाऊ दयाल गुप्ता, कृष्ण भगवान केसरवानी ,उमेश जायसवाल, उमा गुप्ता ,गीता गुप्ता, उज्जवल केसरवानी, विष्णु कुमार जायसवाल, नीरज सिंह जड़ियां ,हैप्पी कसेरा, राजेंद्र कुमार सिंह, प्रीति रावत, अरुण कुमार साहू ,पुष्कर ओझा, महेश नारायण, शिव बाबू गुप्ता, सीमा देवी रीता गुप्ता राम रतन, राम लाल चौरसिया, पुनीत अग्रवाल कैलाश चंद्र केसरवानी ,अजय अग्रहरि,पीयूष शर्मा, सारिका गुप्ता ,संगीता केसरवानी, दीपक अग्रवाल आदि रहे