प्रयागराज। आर्य भवन जीरो रोड के मंदिर में विश्राम कर रहे भगवान जगन्नाथ जी के प्रांगण में श्री जगन्नाथ जी महोत्सव समिति के अध्यक्ष गोवर्धन दास गुप्ता ने भगवान जगन्नाथ जी की कथा के छठे दिन भगवान जगन्नाथ जी की रथ का महत्व बताते हुए कहा कि
हिंदू धर्म में पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने को बहुत बड़ा सौभाग्य माना गया है. मान्यता है कि रथयात्रा में शामिल होने मात्र से ही भक्तों पर भगवान जगन्नाथ की कृपा बरसती है और उसे 100 यज्ञों के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है और जीवन से जुड़े सभी सुखों को भोगता हुआ अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होता है और आगे कहा कि जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहा जाता है। इस रथ की ऊंचाई 45.6 फीट (लगभग 14 मीटर) की होती है जिसमें 16 विशाल पहिये लगे होते है। रथ को 832 लकड़ियों से जोड़कर बनाया जाता है। रथ पर जो ध्वज लगा होता है उसे त्रिलोक्यमोहिनी कहते है। रथ का रंग लाल व पीला होता जिसके सारथि का नाम मातली होता है।
इस रथ में भगवान जगन्नाथ के साथ भगवान नारायण, हनुमान, रूद्र इत्यादि भी विराजमान होते है। रथ में चार घोड़े लगे होते है तथा इसे जिस रस्सी की सहायता से खींचा जाता है उसे शंखचुडा के नाम से जाना जाता है। भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे आखिरी में चलता है। और आगे कहा कि भगवान बलभद्र के रथ को तालध्वज के नाम से जाना जाता है जिसकी ऊंचाई 45 फीट (13.7 मीटर) होती है। इस रथ में 14 पहिये लगे होते है तथा रथ का निर्माण 763 लकड़ियों को जोड़कर किया जाता है। रथ के ध्वज को उनानी के नाम से जाना जाता है। रथ का रंग लाल व हरा होता है जिसका सारथि सान्यकी होता है।रथ में भगवान बलभद्र कार्तिक, गणेश इत्यादि के साथ विराजमान होते है। रथ को खींचने के लिए जिस रस्सी का प्रयोग किया जाता है उसे बासुकी नाग कहते है। भगवान बलभद्र का रथ सबसे आगे चलता है। और आगे कहा कि माता सुभद्रा के रथ को दर्पदलन/ पद्म रथ के नाम से जाना जाता है जिसकी ऊंचाई 44.6 फीट (13.5 मीटर) होती है। इस रथ में 12 पहिये लगे होते है तथा रथ को 593 लकड़ियों को जोड़कर बनाया जाता है। रथ के ध्वज को नंद्विक ध्वज कहा जाता है तथा रथ का रंग लाल व काला होता है। रथ के सारथि उनके पति अर्जुन होते है।
रथ में माता सुभद्रा, चामुंडा, दुर्गा, चंडी इत्यादि विराजमान होती है। रथ को खींचने के लिए जिस रस्सी का प्रयोग किया जाता है उसका नाम स्वर्णचुडा होता है तथा माता सुभद्रा का रथ दोनों भाइयों के बीच में होता है।
इस अवसर पर समिति के द्वारा जड़ी बूटी से निर्मित भगवान जगन्नाथ जी को औषधि का भोग लगाया गया और भक्तों ने प्रभु के स्वस्थ होने की कामना करते हुए शीघ्र दर्शन देने की प्रार्थना की
इस अवसर पर बसंत लाल आजाद ,जय राम गुप्ता, राजेश केसरवानी, मोहित कुमार,जयराम गुप्ता ,दाऊ दयाल गुप्ता, कृष्ण भगवान केसरवानी ,उमेश जायसवाल, उमा गुप्ता ,गीता गुप्ता, उज्जवल केसरवानी, विष्णु कुमार जायसवाल, नीरज सिंह जड़ियां ,हैप्पी कसेरा, राजेंद्र कुमार सिंह, प्रीति रावत, अरुण कुमार साहू ,पुष्कर ओझा, महेश नारायण, शिव बाबू गुप्ता, सीमा देवी रीता गुप्ता राम रतन, राम लाल चौरसिया, पुनीत अग्रवाल कैलाश चंद्र केसरवानी ,अजय अग्रहरि,पीयूष शर्मा, सारिका गुप्ता ,संगीता केसरवानी, दीपक अग्रवाल आदि रहे