ब्रिटेन के शीर्ष विश्व विद्यालयों में प्रवेश सीमित करने की योजना

ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक देश में प्रवासियों की संख्या कम करने पर विचार कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने ब्रिटेन के शीर्ष विश्व विद्यालयों में प्रवेश सीमित करने की योजना बनाई है। इस योजना को लेकर भारतीयों के समूह ने उनसे वीजा कटौती नहीं करने की गुहार लगाई है।

सुनक प्रवासियों की संख्या कम करने के लिए न केवल प्रवेश सीमित करना चाहते हैं, बल्कि विद्यार्थियों के आश्रितों के वीजा की संख्या भी कम करना चाहते हैं। ऐसे में ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों के नेतृत्व वाले एक छात्र संगठन ने विदेशियों को अध्ययन वीजा में कटौती की योजना पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। सुनक को यह कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है, क्योंकि ब्रिटेन में प्रवासियों की संख्या रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।

मनमाने निर्णय का प्रतिकूल असर होगा : NISAU
ब्रिटेन के नेशनल इंडियन स्टुडेंट्स एंड एल्यूमनी यूनियन (NISAU) का कहना है कि विश्वविद्यालयों में प्रवेश सीमित करने के मनमाने निर्णय का दूरगामी व प्रतिकूल असर होगा। एनआईएसएयू की ब्रिटिश इकाई के अध्यक्ष सनम अरोडा ने कहा कि विद्यार्थी ब्रिटेन में अस्थाई रूप से रह रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विदेशी विद्यार्थी, जिनमें भारतीयों की संख्या सर्वाधिक हैं, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 30 अरब पाउंड (GBP) के राजस्व का योगदान देते हैं। वे ब्रिटेन के व्यापार, संस्कृति और कूटनीति संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए यूके के दोस्त के रूप में वापस जाते हैं। छात्र संगठन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सुनक सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ‘शीर्ष विश्वविद्यालय’ की कोई मनमानी परिभाषा तय नहीं की जाए।

उधर, यूके के विश्वविद्यालय निकायों ने भी अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या सीमित करने को लेकर ब्रिटिश सरकार को सतर्क किया है। इन निकायों का कहना है कि इससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और प्रतिष्ठा को चोंट पहुंच सकती है। यूयूकेआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विविएन स्टर्न ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कटौती सीधे तौर पर यूके सरकार की रणनीति के विपरीत होगी।

स्टूडेंट वीजा में भारतीयों ने चीन को पीछे छोड़ा
यूके के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि यूके में प्रवासियों की संख्या जून 2021 तक 1,73,000 से बढ़कर जून 2022 तक 5,04,000 हो गई है। ब्रेक्सिट के बाद इसमें 3,31,000 की बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ोतरी में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का एक बड़ा योगदान है। पहली बार स्टूडेंट वीजा के मामले में भारतीयों ने चीनी छात्रों को पीछे छोड़ दिया है।

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