ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भरपूर हैं भगवान वेंकटेश्वर की आंखें,

भारत देश में कई फेमस मंदिर हैं। इन्हीं में से एक सबसे ज्यादा फेमस धार्मिक स्थलों में तिरुपति बालाजी का मंदिर है। इस मंदिर की काफी मान्यता है और मंदिर से आस्था, प्रेम और रहस्य जुड़ा हुआ है। जिसकी वजह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। मान्यता के मुताबिक अपने भक्तों को सभी परेशानियों से बचाने के लिए भगवान वेंकटेश्वर कलयुग में जन्म लिया था। भगवान वेंकटेश्वर श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। कहा जाता है कि कलयुग में जब तक भगवान वेंकटेश्वर रहेंगे, तब तक कलयुग का अंत नहीं हो सकता है।

आपको बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर को कलयुग का वैकुंठ भी कहा जाता है। भगवान वेंकटेश्वर को श्रीनिवासा, बालाजी और गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरुपति बालाजी की आंखें क्यों बंद रहती हैं। अगर आपको इसका जवाब नहीं मालूम है, तो इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।तिरुपति बालाजी की आंखों का रहस्य

धार्मिक मान्यता के मुताबिक भगवान वेंकटेश्वर का आधुनिक युग में निवास तिरुपति तिरुमाला मंदिर में माना जाता है। भगवान श्रीहरि के अवतार वेंकटेश्वर को उनकी चमकीली और शक्तिशाली आंखों के लिए जाना जाता है। भगवान वेंकटेश्वर अपने भक्तों की आंखों में सीधा नहीं देख सकते हैं, क्योंकि उनकी आंखें ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भरपूर है। इसी वजह से उनकी आंखों को सफेद मुखौटे से बंद कर दिया जाता है। वहीं सिर्फ गुरुवार के दिन भगवान वेंकटेश्वर की आंखों से सफेद मुखौटे को बदला जाता है। सिर्फ उसी दौरान क्षण भर के लिए भक्त देवता की आंखों का दर्शन कर सकते हैं।

ऐसे ढकी जाती है बालाजी की आंखें

बालाजी की आंखें पंच कपूर से ढकी जाती हैं। धार्मिक शास्त्रों के मुताबित भगवान वेंकटेश्वर की आंखें हमेशा खुली रहती हैं और इनकी आंखों में काफी ज्यादा तेज है। इसलिए भगवान की आंखें कपूर से ढककर रखी जाती हैं। ऐसे में भक्त सिर्फ गुरुवार के दिन ही भगवान वेंकटेश्वर की आंखों का दर्शन किया जा सकता है।

गुरुवार को किया जाता है बालाजी का श्रृंगार

हर गुरुवार के दिन भगवान वेंकटेश्वर को चंदन से स्नान कराया जाता है और फिर मूर्ति पर चंदन का लेप भी लगाया जाता है। बताया जाता है कि भगवान विष्णु के हृदय पर चंदन का लेप लगाने से मां लक्ष्मी की छवि उभर आती है।

माला में होते हैं 27 तरह के फूल

प्राप्त जानकारी के अनुसार, रोजाना तिरुपति बालाजी के लिए 100 फीट लंबी माला बनाई जाती है। उनको 27 तरह की मालाएं पहनाई जाती हैं। बताया जाता है कि सभी मालाएं अलग-अलग वाटिकाओं से लाया जाता है। तो वहीं वैकुंठोत्सव और ब्रह्मोत्सव के मौके पर तो विदेशों से भी फूल मगंवाए जाते हैं।

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