बहुप्रशिक्षण केंद्र सूबेदारगंज में ‘संविधान सभा’ एवं ‘राजभाषा’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन

सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी का प्रयोग बढ़ाने एवं रेलकर्मियों में राष्ट्रीय भावना का विकास करके सरकारी कामकाज के लिए बेहतर महौल बनाने के उद्देश्य के लिए दि. 15.12.2021 को बहुप्रशिक्षण केंद्र सूबेदारगंज में ‘संविधान सभा एवं राजभाषा’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें आए रेलकर्मियों खुशी एवं उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यशाला में श्री नन्द लाल प्रसाद, मुख्य अनुदेशक, श्री चंद्रिका प्रसाद, संरक्षा सलाहकार, श्री आशुतोष तिवारी, वरिष्ठ अनुवादक, श्री प्रभाशंकर उपाध्याय, पुस्तकाध्यक्ष, श्री त्रिपुरारी उपाध्याय, आफिस खलासी आदि उपस्थित थे।

            कार्यशाला में कर्मचारियों को संबोधित करते हुए श्री शेषनाथ पुष्कर, राजभाषा अधिकारी, प्रयागराज ने अपने संबोधन में कहा कि जिस प्रकार देश के लिए एक संविधान अनिवार्य था उसी प्रकार देश के लिए एक राजभाषा भाषा भी अनिवार्य थी।

            एक राजभाषा के माध्यम से देश के लोगो में एकता की भावना को उत्पन्न कर लोकतंत्र को सफल बनाने, एक राष्ट्र भावना के लिए पृष्ठ भूमि तैयार करके नागरिकों में एक राष्ट्रभाषा के माध्यम से राष्ट्रभावना उत्पन्न करने, सरकारी कामकाज में सुगमता लाने और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी भाषायी पहचान बनाने के लिए राजभाषा अनिवार्य थी।

            भारत में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से हिंदी का राजभाषा के रूप में चुनाव करना संविधान निर्माताओं की एक सराहनीय पहल थी। क्योंकि हिंदी में कई ऐसी विशेषताएं थी अन्य भाषाओं में नहीं थी। हिंदी भाषा का उदार होना, हिंदी भाषा के लेखन व उच्चारण में समानता होना, हिंदी भाषा का अन्य भारतीय भाषाओं से विस्तार ज्यादा होना और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान संदेशों के आदान प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना आदि मुख्य विशेषताएं थी जिसके कारण हिंदी राजभाषा बनी।

            अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अंग्रेजी अपनी उदारता के कारण अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनी उसी प्रकार हिंदी अपनी उदारता के कारण राजभाषा बनी। जिस प्रकार अंग्रेजी ने अपने में फ्रेंच, इटैलियन, रोमन आदि शब्दों को आत्मसात किया ठीक उसी प्रकार हिंदी ने भी अपने में अरबी, फारसी, अंग्रेजी, पुर्तगाली और तुर्की आदि भाषाओं के शब्दों को आत्मसात किया। उदारता में ही विकास है और कट्टरता में ही विनाश है। कट्टरता चाहें हिंदू या मुसलमान किसी की हो देश के लिए घातक है। उदार विचार ही देश को प्रगति के पथ पर ले जाता है।

            अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हमारे मूल भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां हैं और पहले पृष्ठ पर प्रस्तावना है और राजभाषा के संबंध में 11 अनुच्छेदों में व्यवस्था की गई है।

            अंत में उन्होंने प्रशिक्षण पर आए कर्मचारियों से कहा कि भारत सरकार की राजभाषा नीति राजभाषा हिंदी को अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर थोपना नहीं है बल्कि भावनात्मक रूप से जोड़ने की है। अतः आप लोग राजभाषा हिंदी के साथ-साथ भारतीय रेल से भी भावनात्मक रूप से जुड़े और बेहतर कार्य करें।

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