प्रयागराज। संगमनगरी में कल्पवास के साथ-साथ संत महात्मा ऐसी भी तपस्या करते हैं, जिसे देख कर हैरानी होती है। प्रतिदिन 8 से 12 घंटे तक आग के गोले में या सिर पर रखकर तपस्या करते हैं। यह तपस्वी माघ मेला के महावीर मार्ग पर स्थित तपस्वी नगर में रहते हैं। इनकी संख्या देश के अलग-अलग हिस्सों में कुल मिलाकर लगभग दस हजार होती है।
अखिल भारतीय श्री पंच तेरह भाई त्यागी अयोध्या के 1008 श्रीमहंत रामसंतोष दास का कहना है कि यह तपस्या सात चरणों में पूरी होती है। इसमें प्रतिदिन कम से कम पांच घंटे से लेकर 12 घंटे तक संत महात्मा अपने आसपास, गोद में, सिर के ऊपर और आसपास धुना सुलगा कर तपस्या करते हैं। मेला क्षेत्र में तपस्वी संतों की संख्या लगभग 500 है। जो तपस्वी नगर में कल्पवास कर रहे हैं। उनकी धुना तपस्या बसंत पंचमी से शुरू होकर गंगा दशहरा तक चलती है। उन्होंने बताया कि इस तपस्या के लिए संत-महात्मा की उम्र का कोई बंधन नहीं होता है। चाहे वह किसी भी उम्र का हो। महंत रामदास त्यागी टाटाम्बरी बाबा उत्तराधिकारी महंत धु्रवदास त्यागी का कहना है कि यह उनकी सनातन परम्परा रही है। जिसको आज के आधुनिक युग में भी पहले की तरह धुना तपस्या हम लोग करते हैं।