बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचार किसी से छिपे नहीं हैं। बलूचिस्तान से आए दिन लोगो के अपहरण और हत्या की खबरें आती रहती हैं। वहीं अब पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है वहां के नागरिक डर के माहौल में जी रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूचिस्तान प्रांत में लोगों के जबरन गायब होने, आर्थिक बहिष्कार, प्रेस की आजादी पर पाबंदियों से जनता में हताशा बढ़ी है।
एचआरसीपी टीम ने मानवाधिकार रक्षकों, वकीलों, पत्रकारों, और मछुआरा समुदाय के सदस्यों के साथ-साथ ग्वादर, तुरबत, पंजगुर और क्वेटा में राजनीतिक नेताओं और प्रशासन के सदस्यों सहित नागरिक समाज के सदस्यों से बात की। एचआरसीपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां के नागरिक असंतोष को दबाने के लिए राज्य द्वारा जबरन लोगों को गायब करने पर चिंतित है।
बलूचिस्तान प्रांत में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति ने पाक सरकार के लिए समस्याओं को और जटिल कर दिया है। शहबाज सरकार पाकिस्तान में चरमराती अर्थव्यवस्था को ठीक करने की कोशिश कर रही है। वहीं पाकिस्तान आतंकवाद की चपेट में है, आतंकवाद खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सबसे ज्यादा है लेकिन बलूचिस्तान, पंजाब और सिंध प्रांत भी आतंकियों के गढ़ हैं।
बलूचिस्तान प्रांत, ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा हुआ है, जो लंबे समय से हिंसक विद्रोह का सामना करता रहा है। बलूचिस्तान में काफी अस्थिरता है यही कारण है बलूच विद्रोही समूह पहले ही 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं को निशाना बनाकर कई हमले कर चुके हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के आर्थिक संकट के बीच, बलूचिस्तान प्रांत राजस्व और विकास परियोजनाओं के अपने उचित हिस्से से वंचित है। एचआरसीपी ने देखा कि बलूचिस्तान और पड़ोसी देशों के बीच एक स्वस्थ कानूनी व्यवस्था बिल्कुल खराब है जिससे यहां गरीबी के स्तर को बढ़ा दिया है।