तीर्थराज प्रयाग और संगम की रेती है अक्षय पुण्य की भूमि
प्रयागराज । श्री श्री 1008 श्री रामकृष्ण दास महराज ने कहा कि प्रयागराज संपूर्ण सृष्टि में वह सर्वश्रेष्ठ भूभाग है जिसका विनाश प्रलय के समय भी नहीं होता। प्रलय के समय भगवान श्री नारायण यहीं पर सनातन अविनाशी धर्म के साकार प्रतीक आदि वटवृक्ष अक्षयवट पर संपूर्ण लोकों को अपने उदर में समाहित करके माधव स्वरूप योग निद्रा में समादिष्ट हो जाते हैं । उन्होंने कहा कि प्रलय के समय भी प्रयाग का विनाश नही होता है। यह अक्षय पुण्य की भूमि है। यह बातें श्री श्री 1008 रामकृष्ण दास जी महाराज (इंजीनियर बाबा)ने माघ मेला के रामानंद अ मार्ग पर लगे कोल्हूनाथ खालसा में कल्पवासियों को प्रयाग महात्म्य बताते हुए कही। उन्होंने कहा कि यहीं पर प्रजापिता ब्रह्मा सृष्टि सृजन की प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं। पहले से बचे हुए ऋषियों, सिद्धों ,मनुष्यों आदि की सहायता से प्रकृति योग से करते हैं । देवताओं ने इसी अक्षय भूमि पर आश्रय प्राप्त किया था । इससे परमपुण्य धर्म भूमि का नाम प्रकृष्ट के प्रयोग के संजोग से प्रयाग हुआ ।द्वादश प्रयागों में सर्वश्रेष्ठ होने से प्रयागराज कहलाया, इस के दर्शन के लिए सभी तीर्थ स्वयं ही माघ मकर पर्व में अपने प्रत्यक्ष या सूक्ष्म शरीर से पधार कर एक माह तक कल्पवास करते हैं जिससे इस भूमि का नाम तीर्थराज प्रयाग हो गया श्री नारायण की लीला संभरण की महाइच्छा होती है। तो बाल रूप में बाल स्वरूप की एकांतिक लीला शुरू करते हैं । महंत श्री श्री रामकृष्ण दास महराज ने कहा किजो योग साधना की प्रमुख योग क्रिया जीवन साधन का एक अंग है । उन्होंने कहा कि श्री नारायण बाल रूप में अपने ही पदांगुष्टरज का पान से अनेक रूपों में विभक्त हो जाते हैं। इस परम पावन भूमि को स्पर्श पाने के लिए इसके आकर्षण इसकी आत्मीयता से प्रभावित होकर सर्व प्रकारेण, मंगल दायिनी, कल्याणकारिणी, तीनों लोकों में दुर्लभ पतित पावनी ,जगत जननी भक्ति माता भगवती अदृश्य सरस्वती सदा विराजती हैं। जिससे संपूर्ण त्रिवेणी परिवेश ही सर्वतीर्थमय सर्वदेवमय हो जाता है। महंत श्री श्री रामकृष्ण दास महराज ने कहा किश्री कृष्ण नारी रूप में गंगा बनकर अपनी प्रियतमा जमुना से संजोग करके ब्रह्म व जीव की एकता से जीवन की पूर्णता प्राप्ति का योग संदेश देते हैं। तो वही गंगा जमुना और सरस्वती के संगम प्रतीक रूप में गंगा जमुना सरस्वती में स्नान करने के बाद ऋषि मुनि महात्मा सीताराम नाम जाप करते रहते हैं ।इस कारण परम पावन परम मंगल भूमि होने से प्रयागराज जैसा विश्व में कहीं स्थान नहीं होता है। यह धर्मभूमि, अध्यात्मभूमि, पुण्य भूमि ,सांस्कृतिक भूमि, सभ्यताभूमि ,ज्ञान भूमि, तपोभूमि ,दान भूमि, सेवा भूम सर्व कालेन योग सिद्धि भूमि,अंत में भगवान नारायण की कृपा भूमि है। उन्होंने कहा कि करोनाकाल में प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वामी योगी आदित्यनाथ महाराज के शासनकाल में 2021/ 2022 मे देश के कोने – कोने से संत / महात्मा पधार कर अपनी व्यवस्था के अनुसार सभी लोगों ने साधु सेवा किया अन्य क्षेत्र चलाया । महराज जी ने कहा कि कोल्हूनाथ खालसा,भी रामानंद मार्ग (अ)खाक चौक,में शिविर लगाकर माघ मेले के दौरान कथा, प्रवचन और अन्य क्षेत्र की सेवा किया । महंत रामकृष्ण दास महराज ने कहा कि इस दौरान सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया गया और लोगों की सेवा की गयी। उन्होंने कहा कि त्रिजटा स्नान करने के बाद सभी साधु ,संत, महंत ,अपने-अपने जगहों पर चले जाएंगे। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो ,विश्व का कल्याण हो, श्री प्रयागराज महाराज की जय हो, हर हर महादेव।।