रचना त्रिवेदी
प्रयागराज । कुछ ख़बरों को देख सुन कर, मेरा भी मन कुछ कहने का हुआ। आप को अवगत कराना है कि हमारे बीच के कुछ लोग, संभवतः निजी स्वार्थों के चलते, अपनी घोर नकारात्मक प्रवृत्ति और विकृत मानसिकता से पूरी तरह विवश होकर घटनाओं को बढ़ा चढ़ा कर पेश करते हैं।
वे ख़बर नहीं बल्कि “सनसनी” प्रसारित करने में अपनी महारत और क़ाबिलियत समझते हैं।
मुझे ऐसा भी लगने लगा है कि शायद वे क़तई नहीं चाहते कि कोई ईमानदारी से काम करते हुए मौजूदा सिस्टम को और बेहतर बनाए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा जनहित हो सके; साथ ही, आम जनता को भरपूर सम्मान और राहत मिल सके।
और तो और, ऐसे हताश, निराश लोग, जीवन से थके, हारे, और घोर नकारात्मकता वादी लोग सीधे पुलिस के अधिकारियों को “टारगेट” करके अपनी “ख़बरें रचते हैं” जो कि उनकी बचकानी और घोर निराशा वादी सोच का प्रबल परिचायक है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मेरा लक्ष्य है कि प्रयागराज से अपराध और अपराधियों का समूल सफ़ाया हो। अभी तक जो भी अपराधी बचे हुए हैं उनको उनकी काली करतूतों के मुताबिक़ उन्हें उनके “अंजाम” तक पहुँचाया जाए। “भ्रष्टाचार” और “साठ-गाँठ” इस काम में सबसे बड़ी बाधाएँ हैं। इस पर भी भयानक हथौड़ा चलाया जा रहा है, ये हथौड़े की चोटें आगे भी जारी रहेंगी।
ईमानदारी और सख़्ती से किए गए इन कामों से कुछ लोगों को परेशानी ज़रूर होगी, चूँकि उनकी रोज़ी रोटी अपराध और अपराधियों को पालने के एवज़ में ही चलती है। ऐसे लोगों को घनघोर तिलमिलाहट ज़रूर होगी; होती है, होती रहे। जनहित से संबंधित कार्य कदापि रूकेंगे नहीं, बल्कि और तेज़ धार के साथ लगातार जारी रहेंगे।