प्रदूषित हवा के कारण तेज़ी से बढ़ रहे हैं COPD के मामले

हर साल ठंड आने के साथ हवा में प्रदूषण का स्तर भी भयानक रूप ले लेता है। जिसकी वजह से लोग बीमार पड़ने लगते हैं। खासतौर से कोरोना के इस काल में फेफड़ों का संक्रमित होना जानलेवा भी साबित हो सकता है। इस वक्त देश चारों तरफ से बीमारियों से घिरे हुए है। एक तरफ ठंड के मौसम के साथ सर्दी-ज़ुकाम और फ्लू एक आम इंफेक्श है, तो दूसरी ओर प्रदूषण और कोरोना वायरस भी फेफड़ों पर ही अटैक करते हैं।डॉक्टर और पल्मोनोलोजिस्ट का कहना है कि जिन लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया है आजकल उन्हें भी आजकल COPD होना आम बात हो गई है। उनका कहना है कि पिछले 2-3 सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। डॉक्टर का कहना है कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते लेकिन ऐसी जगह रहते हैं जहां बायोमास ईंधन या फिर औद्योगिक प्रदूषण है, उन्हें भी COPD हो जाता है। हालांकि, जो मरीज़ आजकल आ रहे हैं उनके साथ ये समस्या भी नहीं है। हमें लगता है कि ज़्यादा देर प्रदूषण में रहने से भी COPD होना आम हो गया है।

क्या है COPD

COPD फेफड़ों की एक ऐसी बीमारी है, जो सांस की तकलीफ की वजह बनती है और जानलेवा भी साबित होती है। हवा में प्रदूषण और धूम्रपान इस बीमारी को और गंभीर बना देता है, यहां तक कि इसे ठीक होने से रोकता भी है। हवा में मौजूद प्रदूषकों में ज़्यादा देर रहने से इस बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है। छोटे बच्चे जो दिल्ली जैसे शहर में रह रहे हैं, जहां पूरे साल प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवेल पर रहता है, उन्हें इस बीमारी के होने का सबसे ज़्यादा ख़तरा है।

COPD के कारण

-तनाव

-सांस प्रणाली में संक्रमण

-दिल की समस्या

-फेफड़ों का कैंसर

COPD के प्रमुख लक्षण

-सांस लेने में दिक्कत

-खांसी

-जुकाम और फ्लू

-सीने में जकड़न

-वज़न घटना

-पैरों में सूजन

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