चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने देशभर में कोविड-19 के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के दबाव में भले ही कुछ नियमों को ढील दे दी हो लेकिन वह शासन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई कोताही करना नहीं चाहती। वह बड़े पैमाने पर उथल-पुथल को शांत करने के लिए आवश्यक मशीनरी स्थापित करते हुए सरकार दशकों से ऐसी चुनौतियों के लिए तैयारी कर रही है।
शुरुआत में काली मिर्च के स्प्रे और आंसू गैस का इस्तेमाल कर हल्की प्रतिक्रिया देने के बाद पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने शुक्रवार को शहर की सड़कों पर जीपों, वैनों और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ भारी मात्रा में बल प्रदर्शन किया। नागरिकों के पहचान पत्रों की जांच के साथ असंतुष्टों की पहचान के लिए अधिकारियों ने फोटो, संदेश या प्रतिबंधित ऐप्स के लिए लोगों के मोबाइल फोन भी खंगाले। वह विरोध प्रदर्शनों में उनकी भागीदारी और प्रदर्शनकारियों से सिर्फ सहानुभूति रखने वाले लोगों तक की पहचान में जुटी दिखी। अज्ञात संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनमें से किसी पर आरोप लगेंगे या नहीं। अधिकांश प्रदर्शनकारियों ने अपना गुस्सा शून्य कोविड नीति पर केंद्रित रखा लेकिन कुछ ने पार्टी और राष्ट्रपति शी जिनपिंगसे सत्ता छोड़ने की मांग भी की जिसे सत्ताधारी दल विध्वंसक और वर्षों तक जेल की सजा के दंड के लिए उपयुक्त मानता है।
प्रदर्शन को लेकर हांगकांग वासियों की अलग राय
चीन में कोविड-19 को लेकर लागू प्रतिबंधों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों से हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के पक्षधरों को उम्मीद जगी है, जिसे अधिकारियों ने वर्ष 2020 में कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू कर एक तरह से कुचल दिया था। चीन में प्रदर्शनों को उम्मीद की नजर से देखने वालों में थॉमस सो भी हैं जो चीन की मुख्य भूमि के उन करीब एक दर्जन विद्यार्थियों के साथ हैं। वहीं, चीन के दक्षिणी तट पर स्थित हांगकांग में कुछ ऐसे भी लोग भी हैं जिनकी सहानुभूति मुख्य भूमि पर हो रहे प्रदर्शनों के प्रति नहीं है। कुछ का कहना है कि मुख्य भूमि पर रहने वाले चीनियों ने हांगकांग में हुए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों की निंदा की थी, जिसकी उन्हें कड़वी दवा मिल रही है।