प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज निंदनीय, समस्त समस्याओं के निराकरण का माध्यम संवाद ही होना चाहिए- अभाविप

प्रयागराज।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित यूपी पीसीएस एवं आरओ/एआरओ परीक्षा के संबंध में अभ्यर्थियों की विभिन्न चिंताओं को ध्यान में रखते हुए परीक्षा केंद्रों के व्यवस्थापन एवं निर्धारण,नॉर्मलाइजेशन(मानकीकरण) , परीक्षाओं को दो पाली में करवाने एवं परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखने हेतु आयोजन संबंधी विषयों पर अभ्यर्थियों से बातचीत शीघ्र सकारात्मक उचित कदम उठाने की मांग करती है।
अभाविप, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन, शुचिता एवं पारदर्शिता से संबंधित अभ्यर्थियों की चिंताओं का जल्द निराकरण करने की मॉंग करती है, जिससे अभ्यर्थी परीक्षा की तैयारी बिना किसी आशंका एवं संदेह के कर सकें।
इसी के साथ अभाविप प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की भी निंदा करती है। अभाविप का यह स्पष्ट मत है की संवाद ही समाधान का माध्यम है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ला ने कहा कि “उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस एवं RO/ARO की आगामी परीक्षाओं में आयोग द्वारा निर्धारित नियमावली से अभ्यर्थियों के मन में कुछ आशंकाएं व्याप्त हैं जिसे ले कर अभ्यर्थी लगातार कई स्तरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।अभाविप उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से यह मांग करती है की अभ्यर्थियों की समस्त चिंताओं का जल्द से जल्द निराकारण आयोग को करना चाहिए।अभाविप का यह स्पष्ट मत है की परीक्षाओं की शुचिता एवं पारदर्शिता से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है एवं केंद्र निर्धारण एवं मानकीकरण को ले कर अभ्यर्थियों की समस्त चिंताओं का गंभीरतापूर्वक निराकरण होना चाहिए।”
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काशी प्रांत के प्रांत मंत्री अभय प्रताप सिंह ने कहा की ,” अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उत्तर प्रदेश में PCS एवं आरओ/एआरओ की परीक्षाओं के शुचितापूर्ण आयोजन हेतू अभ्यर्थियों द्वारा व्यक्त की जा रही चिंताओं के जल्द निराकरण की मांग आयोग से करती है।इस संदर्भ में अभाविप आयोग से नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया, केंद्र निर्धारण संबंधी आशंकाओ के निराकरण एवं उक्त प्रतियोगी परीक्षाओ हेतु निर्धारित जिलों की संख्या बढ़ाने की मांग करती है।हम प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हैं हमारा यह स्पष्ट मत है की समस्त चिंताओं के निराकरण का माध्यम सतत संवाद ही होना चाहिए।”

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