प्रत्येक मानव को आपत्तिकाल में सत्संग व संत शरण में जाना चाहिए जैसे राजा परीक्षित ने किया-आचार्य बालभार्गव

राधा के नाम के बिना कृष्ण का नाम अधूरा,श्रीराधा कृष्ण कल्याण का मंत्र-श्री भगवान दास
संतों के अमृत वचनों से गूंज रहा नारीबारी सतपुरा गांव, उमड़ रही भक्तों की भीड़
नारीबारी(प्रयागराज)। श्रीमद् भागवत कथा से नारीबारी व सतपुरा गांव इन दिनों संतो के अमृत वचनों से गूंज रहा है। स्व.संतोष कुमार शुक्ल नारीबारी व स्व.सीता देवी पत्नी राकेश बहादुर पांडेय सतपुरा के प्रथम पुण्यतिथि के पूर्व श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। नारीबारी मे तीसरे दिन की कथा में व्यास आचार्य बालभार्गव जी महाराज ने कहा कि समाज के लोगों को राजा परीक्षित से सीख लेनी चाहिए। परीक्षित का चरित्र तभी पता चलेगा जब व्यस्तता के बीच भी कथा श्रवण के लिए वक्त निकाला जाए। बताया कि राजा परीक्षित को जब ऋषि कुमार ने श्राप दिया तो उन्होंने किसी वैद्य, ज्योतिषी अथवा तांत्रिक की शरण नहीं ली। राजा होते हुए सत्संग और संत शरण का आश्रय लिया। इसलिए मानवों को भी चाहिए कि आपत्तिकाल में सत्संग व संत शरण में पहुंच जाएं। मुख्य यजमान कलावती शुक्ला पत्नी स्वं संतोष कुमार शुक्ल रही। सह यजमान सत्यम शुक्ल,शिवम शुक्ल,सुन्दरम शुक्ल रहे। कुल गुरू पं.प्रेम नारायण त्रिपाठी,आचार्य पंडित राम जी पांडेय रहे।
सतपुरा मे पांचवें दिन की कथा में आचार्य श्री भगवान दास जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला एवं राधा से निश्छल प्रेम की कथा सुनाई। कृष्ण द्वारा गोकुल में की जाने वाली लीलाओं का भी वर्णन किया। कैसे कृष्ण ने राक्षसनी पूतना का वध किया। बताया कि कृष्ण की बचपन की सखी और प्रेमिका राधा उनको बिलकुल अलग तरीके से देखती थी। राधा कौन थी? एक साधारण सी गांव की लड़की। लेकिन राधा के नाम के बिना कृष्ण का नाम अधूरा माना जाता है, श्री राधा कृष्ण नाम जगत के कल्याण का मंत्र है। क्योंकि कृष्ण के प्रति उनमें अत्यंत श्रद्धा और प्रेम था। हम कृष्ण-राधे कभी नहीं कहते हैं, हम कहते हैं राधे-कृष्ण सतपुरा मे मुख्य यज्ञमान राकेश बहादुर पांडेय,लाल बहादुर पांडेय, मिथिलेश पांडेय,हर्ष नारायण पाण्डेय, राजेश कुमार पाण्डेय आदि रहे। कथा के बाद विधि-विधान से श्रीमद्भागवत पुराण की आरती लिया गया। कथा के अमृतमय पान हेतू बारा के विधायक डाँ.बाचस्पति भी कार्यकर्ताओं संग मौजूद रहे। कथा श्रवण मे प्रमुख रूप से विजय शंकर शुक्ल, महेंद्र शुक्ल, दिलीप कुमार चतुर्वेदी, यज्ञनारायण मिश्र,राम कैलाश शुक्ल, सूर्य कांत शुक्ल, गोकुल सिंह,वृजेश पटेल, गुड्डू सिंह आदि के साथ भारी संख्या में क्षेत्रिय जन उपस्थित रहे।

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