पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने रविवार को कहा कि वर्ष 1971 के युद्ध के परिणाम स्वरूप बांग्लादेश के गठन से इस उपमहाद्वीप में शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में झुक गया। इससे भारत पर दो तरफ से हमला करने की पाकिस्तान की क्षमता भी खत्म हो गई।
उस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि आज बांग्लादेश ‘सफल कहानी’ के तौर पर सामने है जो प्रति व्यक्ति आय और मानव विकास संकेतक के मामले में भारत और पाकिस्तान से भी आगे निकल गया है।
वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की जीत के 50 साल पूरा होने पर यहां आयोजित ‘स्वर्णिम विजय वर्ष संगोष्ठी’ में मेनन ने कहा, ‘भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान की दो मोर्चो पर खतरा उत्पन्न करने की क्षमता खत्म होते ही शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में झुक गया और हार के सालों बाद भी पाकिस्तान के पास पारंपरिक युद्ध छेड़ने का विश्र्वास नहीं रहा।’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे पूर्व राजनयिक मेनन ने कहा कि इस युद्ध से करीब तीन दशक तक भारत और पाकिस्तान के बीच शांति बनी रही। यह शांति तब तक बनी रही जब तक पाकिस्तान ने यह नहीं सोचा कि परमाणु हथियार से संतुलन को बदला जा सकता है और करिगल समस्या पैदा करने की कोशिश की, हालांकि वह फिर से असफल रहा।मेनन के मुताबिक इस युद्ध ने पाकिस्तान को सबक दी कि वह पारंपरिक युद्ध में या चीन व अमेरिका की शह पर भारत से नहीं जीत सकता। इसका नतीजा रहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद और जिहादी संगठनों के जरिये गैर पारंपरिक हिंसा को नीति के तौर पर अपना लिया।