पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने को लेकर भारत-चीन में हुई वार्ता

भारत और चीन के बीच दो महीने के अंतराल के बाद रविवार को एक और दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हुई। इस वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में बाकी के टकराव वाले स्थलों से सैनिकों की वापसी की दिशा में आगे बढ़ना था। सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई। उन्होंने बताया कि वार्ता सुबह करीब 10.30 बजे शुरू हुई और आठ घंटे तक चली। बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने की, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं।

कोर कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता चीन की तरफ मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई

लगभग तीन सप्ताह पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग ई से कहा था कि पूर्वी लद्दाख में बाकी के मुद्दों के जल्द समाधान के लिए दोनों पक्षों को काम करना चाहिए। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 16 सितंबर को दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी। इससे पहले दोनों देशों के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी। इसके कुछ दिन बाद दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी। इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में उल्लेखनीय कदम माना गया था।सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने शनिवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से सैन्य जमावड़ा और व्यापक पैमाने पर तैनाती अगर जारी रहती है तो भारतीय सेना भी अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी। चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की वार्ता हुई। पहला मामला उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में सामने आया था।

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