पूर्वांचल में सहकार से समृद्धि लाऐगी बनास डेयरी काशी संकुल

प्रधानमंत्री ने शास्त्री जी के सपने को किया साकार
प्रयागराज ।
पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न, लालबहादुर शास्त्री का सपना था कि आणंद जैसी डेरियां पूरे देश में स्थापित हो सन 1964 में सरदार पटेल जी के जन्मदिवस पर 31 अक्टूबर को कैरा संघ के मवेशियों  के आहार के लिए आणंद से आठ किमी दूर कंजारी में स्थापित भारत के पहले आधुनिक स्वसंचालित संयंत्र का उद्घाटन करने के लिए शास्त्री जी कार्यक्रम से एक दिन पूर्व वहाँ गये थे और उन्होने रात्रि में गावं में घूम-घूम कर किसानों, पशुपालकों से चर्चा कर बहुत कुछ जानकारी प्राप्त की, मिल्क मैन डॉ. वर्गीस कुरियन द्वारा आणंद डेयरी के बारे दी गयी विस्तृत जानकारी के बाद शास्त्री जी ने कुरियन जी से कहा इसका मतलब है कि हमारे पास कई आणंद  हो सकते हैं, आप पूरे भारत में आणंद जैसी संस्थाओं का निर्माण करिये, भारत सरकार खाली चेक देगी, जिसका अभिप्राय था कि कार्य में धन की कमी आड़े नहीं आएगी l
शास्त्री जी के उसी सपने को प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी ने वाराणसी में बनास डेयरी काशी संकुल की स्थापना कर पूरा किया है l
प्रधानमंत्री जी के संकल्प और प्रयास से दो वर्ष में बनास डेयरी, काशी संकुल ने तैयार होकर वाराणसी और इसके आस -पास के जिलों जौनपुर, गाज़ीपुर, चंदौली, भदोही, मीरजापुर, आजमगढ़ आदि पशुपलकों किसानों के आर्थिक -सामाजिक प्रगति का द्वार खोल दिया l
वाराणसी और आस -पास के क्षेत्र में रोजगार, आर्थिक, सामाजिक विकास को एक नई गति प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी ने 13 दिसंबर 2021 को बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी। इस परियोजना को 2 साल में पूरा भी कर लिया गया और 23 फरवरी 2024 को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के करकमलों द्वारा किया जाएगा।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बनास डेरी के दूध का कारोबार 47 जिलों जिसमें 7 जिले पूर्वाचल के हैं, उनके 4,600 गांवों में  फैला हुआ है। यह दूध संग्रहण कार्य अगले साल तक 70 जिलों के 7,000 गांवों तक विस्तारित हो जाएगा, जिसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है। पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं, 1,300 से ज्यादा बन चुकी हैं और जो वर्ष के आखिर तक बढ़कर 2,600 समितियां हो जांएगी। बनास डेरी मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है, इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल एंव वाराणसी के हैं। गांवों में व्यापक काम करके, बनास डेरी यूपी में 2 लाख अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक परिवारों को जोड़ेगी, जिनमें से 1 लाख पूर्वांचल और वाराणसी के अन्य जिलों से आएंगए प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व मे पूर्वांचल में शुरू हुये विकास के अंतर्गत वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल म 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं और साल के अंत तक यह बढ़कर 50 हो जाएंगे। इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 19 लाख लीटर से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है जिसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है। प्रदेश में इस साल के अंत तक यह मात्रा बढ़कर 25 लाख लीटर हो प्रतिदिन जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर दूध वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा।
बनास काशी संकुल 30 एकड़ में फैला है, जिसकी प्रतिदिन 8 लाख लीटर का दूध की प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) की छमता है। इस परीयोजना को  प्रधान मंत्री  नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन के साथ, 622 करोड रुपये की कुल लागत से स्थापित किया गया है। लघु एवं सीमांत किसानों की आय का स्तर बढ़ाने के लिए डेयरी व्यवसाय का यह  एक उपयुक्त साधन है। बनास डेयरी अपने वाराणसी प्लांट के जरिए 750 लोगों को प्रत्यक्ष और 81,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से को रोजगार दे रहा है जिसमें दुग्ध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं। वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयां जिसमें लौंगलता और काशी का लाल पेड़ा शामिल है, इस संयंत्र में स्वचालित विधि से स्वच्छतापूर्वक निर्मित किया जाएगा, और अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जाऐगा। इस संयंत्र में विभिन्न मिठाइयों को बेहतर गुणवत्ता, ताजगी और उपभोक्ताओ की सुविधा के लिए सिंगल सर्व पैक में भी बनाया जा रहा है। उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल की 150 वाली गिर गायें, पूर्वांचल के किसानों को उपहार में दी गईं हैं। प्रदेश से साहीवाल, लाल सिंधी और गंगातीरी तथा गुजरात से गिर की सर्वोत्तम गाय की नस्लों से भ्रूण तैयार किया गया है l
बनास डेयरी कृषि उत्पादन के साथ सतत विकास के माध्यम से  किसानों की आय को दो गुना करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा । प्रधानमंत्री के  संकल्प को पूरा करने के लिए बनास डेरी बहुआयामी प्रयास कर रही है। किसान को न केवल दूध के दाम  मिलेगें, बल्कि किसान के खेत में पैदा होने वाली हर फसल का मूल्य संबर्धन कर उसको अधिक दाम मिल सके, उसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। दूध उत्पादक और किसान न सिर्फ बनास डेयरी को दूध और कृषि उत्पाद बेचता है बल्कि संयत्र द्वारा निर्मित दूध और यहाँ उत्पन्न होने वाले मूल्य-वर्धित उत्पादों और सेवाओं का ग्राहक भी है।
बनास डेरी दुग्ध उत्पादकों और किसानों से कच्चे माल जैसे दूध, शहद, कृषि उत्पाद, गाय का गोबर आदि खरीदती है। साथ ही दूध उत्पादकों किसानों और अन्य उपभोक्ताओं को पनीर, आइसक्रीम, गेहूं का आटा, पशु चारा, जैविक उर्वरक जैसे मूल्य वर्धित उत्पाद  भी बेचता है। यह डेयरी वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण, जल संरक्षण, आदि दायित्यों के  निर्वहन के साथ  दुग्ध उत्पादकों और किसानों को पशु चिकित्सा, शिक्षा, अस्पताल, ग्रामीण स्तर पर रिटेल स्टोर और अन्य सेवाएं प्रदान करती है।
बनास काशी संकुल  पूर्वांचल के आर्थिक विकास के लिए  एक नया सूर्योदय के समान है। बनारस से बनास तक का ये सफर पूर्वांचल में किसान के लिए सहकार के माध्यम से उनके जीवन में कृषि तथा गोसंवर्धन का लाभ पहुंचाएगा।जिससे आत्मनिर्भर और विकसित भारत का सपना साकार होगा l

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