डा ़ भगवान प्रसाद उपाध्याय
जिस दिन मन में भाव जगेगा
पूरा देश तुम्हारा होगा
बीज घृणा के बोने वालों
मन भर ईर्ष्या ढोने वालों
शिक्षितऔर अशिक्षित दोनों
हृदय कलुषता दूर करो तो
जब भी एक इशारा होगा
धरती अंबर सारा होगा
पूरा देश तुम्हारा होगा
जिस मिट्टी पर अन्न उगाते
उछल कूद फिरते इठलाते
यश धन वैभव सब कुछ पाते
फिर भी उसका मान न करते
इस मिट्टी का नमन करो तो
जनगण तुमको प्यार होगा
पूरा देश तुम्हारा होगा
बनो न तुम संस्कृति के भक्षक
खुद हो संविधान के रक्षक
मन की मैल धुलेगी जिस क्षण
सत्य सुगंध मिलेगी तत्क्षण
पलक पांवड़े बिछा मिलेगा
हर मंदिर गुरुद्वारा होगा
पूरा देश तुम्हारा होगा
नफरत की दीवार उठाते
अलग-थलग सबसे हो जाते
अमन-चैन के दुश्मन बनते
घर की इज्जत स्वयं लुटाते
चिंतन शांत भाव से होगा
तो आंखों का तारा होगा
पूरा देश तुम्हारा होगा
पता — गंधियांव करछना प्रयागराज 212301 उत्तर प्रदेश
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