अधिक वजन कई बीमारियों की वजह बनता है। इसलिए कहा जाता है कि महिला हो या पुरुष, उसे अपना वजन नियंत्रण में रखना चाहिए। हाल में किए गए एक शोध में पता चला है कि जो पुरुष बचपन और किशोरावस्था में अपना वजन कम रखते हैं, उन्हें वयस्क होने पर पिता बनने में आसानी होती है। इस शोध के मुताबिक, ऐसे पुरुष बांझपन (इनफर्टिलिटी) का शिकार नहीं बनते। इस शोध को अटलांटा गा में होने वाली एंडोक्राइन सोसायटी की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस शोध में यह भी पाया गया है कि जिन पुरुषों का वजन बचपन और किशोरावस्था में ज्यादा होता है और जिनका इंसुलिन स्तर ज्यादा रहता है, उन्हें वयस्क होने पर पिता बनने में ज्यादा मुश्किल होती है। दुनियाभर में दिख रहा असर: प्रमुख शोधकर्ता और इटली में कैटेनिया यूनिवर्सिटी के एमडी रासेला कैनरेला के मुताबिक, बचपन और किशोरावस्था में यदि आप अपने वजन को सावधानीपूर्ण तरीके से नियंत्रित रखते हैं तो इससे वयस्क होने पर पिता बनाने में जो चीजें कारक होती हैं, वे ज्यादा असरदार साबित होंगी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से पुरुष बांझपन में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। यही नहीं, पिछले 40 वर्षों में पूरी दुनिया में बिना किसी स्पष्ट कारण शुक्राणुओं की औसत संख्या आधी रह गई है। इसका सीधा संबंध मोटापे से भी है।कम शुक्राणु और मोटापे का बांझपन से संबंध जानने के लिए शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग किया। इसके तहत, 53 ऐसे बच्चों पर शोध किया गया, जिनका वजन काफी ज्यादा था। उनके परिणामों की तुलना उनकी आयु वर्ग के 61 ऐसे बच्चों से की गई, जो सामान्य थे। इसमें पाया गया कि जिन बच्चों का वजन सामान्य था, उनके अंदर शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा थी। इससे साफ जाहिर था, इन बच्चों के वयस्क होने पर पिता बनने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी और इनमें बांझपन का खतरा नहीं होगा।
इसका भी किया गया अध्ययन
इस अध्ययन में मोटापे से संबधित पाचन संबंधी असामनताएं, जैसे इंसुलिन प्रतिरोध और हाइपरिन्सुलिनमिया के बीच संबंधों को भी देखा गया। इंसुलिन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। हाइपरिन्सुलिनमिया शरीर में इंसुलिन का आसामान्य रूप से उच्च स्तर है। सामान्य इंसुलिन के स्तर वाले बच्चों और किशोरों में हाइपरिन्सुलिनमिया वाले बच्चों के मुकाबले शुक्राणुओं की मात्रा काफी ज्यादा पाई गईमोटापे के कई नुकसान होते हैं, इनमें से एक है पुरुष बांझपन। कम शुक्राणु और मोटापे का बांझपन से संबंध जानने के लिए शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग किया। इसके तहत, 53 ऐसे बच्चों पर शोध किया गया, जिनका वजन काफी ज्यादा था।