पीओके को पाकिस्तानी प्रांत बनाने की कोशिश नाकाम

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को प्रांतीय दर्जा देने का दम भरने वाले पाकिस्तान ने 15वें संशोधन को वापस ले लिया है। इस नीति को लेकर माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर पीओके के लोगों को ठगा है।

एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, विधायिका ने इस बिल को वापस लेने का फैसला किया है। पाकिस्तान सरकार द्वारा पीओके के अंतरिम संविधान में 15वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने के संबंध में काफी उम्मीदें थीं। विधेयक में स्थानीय निकायों के लिए एक अलग चुनाव आयोग की स्थापना की बात शामिल थी जिसे सरकार ने 13 अगस्त 2022 को उस वक्त विपक्षी पीपीपी और पीएमएल-एन के समर्थन से पेश किया गया था। अब वही सियासी दल सत्तापक्ष में हैं। 15वां संशोधन पीओके की सांविधानिक स्थिति को निर्धारित करने का 24वां प्रयास था। इस मुद्दे पर पीओके विधानसभा कोई फैसला नहीं ले पाई।

पाकिस्तान सरकार की योजना पर कड़ी आपत्ति
यह संशोधन स्थानीय चुनावों की प्रक्रिया से संबंधित है। जबकि पीओके क्षेत्र में लोगों के बीच इस्लामाबाद को लेकर जबरदस्त असंतोष है। इसके अलावा, इस बात पर भी हंगामा हुआ है कि इस्लामाबाद पीओके में लोगों को विश्वास में नहीं लेता है या उनके लिए बड़े फैसले लेने से पहले उनसे सलाह नहीं लेता है। बिल पेश किए जाने के बाद पीओके के सभी दस जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध और जनसभाएं हुईं। प्रदर्शनकारियों ने इस क्षेत्र की सांविधानिक स्थिति को ठीक करने के लिए 15वां संशोधन लाने की पाकिस्तान सरकार की योजना पर कड़ी आपत्ति जताई।

जबरदस्त विरोध प्रदर्शन जारी
नए मसौदा नियमों का मकसद 13वें संशोधन को वापस लेना था, जिसने स्थानीय सांसदों को इस्लामाबाद की मंजूरी के बिना बड़े राजनीतिक और आर्थिक निर्णय लेने का अधिकार दिया था। इस विधेयक को लेकर मुजफ्फराबाद के गिलानी चौक पर बंद का आह्वान किया गया। इलाके के सभी रास्ते बंद कर दिए गए। रावलकोट, बाग, पुंछ, मुजफ्फराबाद और नीलम घाटी जैसे इलाकों में विरोध प्रदर्शन जारी है।

वित्तीय शक्तियों पर अधिकार छिनने का डर
इस्लाम खबर की रिपोर्ट के अनुसार, पीओके के नागरिक इस्लामाबाद सरकार द्वारा अपनी विशेष शक्ति के क्षेत्र को विभाजित करने और प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण लेने के प्रयासों से नाराज हैं। उन्हें उनके अधिकार छिनने का डर है। पाकिस्तान की योजना 15वां संशोधन लाने की है जो स्थानीय सरकार की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों को इस्लामाबाद में स्थानांतरित कर देगी। इससे स्थानीय लोगों के पास कोई अधिकार नहीं रह जाएंगे।

कश्मीरियों को लाभ नहीं
कश्मीरी लंबे समय से इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के विशाल भंडार का दोहन करने के इस्लामाबाद के इरादों के बारे में संदेह करते रहे हैं। बार-बार आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तान यहां के समृद्ध जंगल, खनन और जल संसाधनों का शोषण करता है जबकि कश्मीरी लोगों को कोई लाभ नहीं मिल सका।

पाकिस्तान में किसी पार्टी का समर्थन नहीं करेगा अमेरिका
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ आतंकवाद का मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद अमेरिका ने साफ किया है कि वह पाकिस्तान में किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करेगा और लोकतांत्रिक, सांविधानिक और कानूनी मूल्यों के शांतिपूर्ण अमल को समर्थन देगा। इमरान (69) को बृहस्पतिवार तक अंतरिम जमानत मिली है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने पाकिस्तान में शांति, तनाव घटाने और कानून के शासन का सम्मान करने का आह्वान किया है।

इमरान पर आतंकवाद का मुकदमा दर्ज किए जाने पर पूछे गए एक सवाल पर अमेरिकी गृह विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी है। यह पाकिस्तान की कानूनी और न्यायिक प्रणाली का मामला है। इस मामले का अमेरिका से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह इसलिए क्योंकि हम किसी पक्ष, प्रत्याशी या पार्टी का किसी अन्य प्रत्याशी के खिलाफ समर्थन नहीं करते।

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