पिता की तरह ही अभागे निकले क्रिकेटर : रजा अली

क्राशर /बेहतरीन प्रतिभा के बावजूद नहीं मिला पर्याप्त मौका

प्रयागराज। क्रिकेट के लिए शहर का एक मशहूर परिवार जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इस परिवार में अधिकतर लोगों ने विश्वविद्यालय स्तर से लेकर रणजी ट्राफी टीम तक का सफर तय किया है।
हम बात कर रहे हैदर अली के परिवार की। हैदर अली खुद एक नामचीन क्रिकेटर रहे हैं, जिन्होंने अपने समय में देश के सभी दिग्गजों के साथ क्रिकेट खेली। लेकिन भरपूर प्रतिभा होने के बावजूद हैदर अली के पुत्र चयनकर्ताओं द्वारा पर्याप्त मौका नहीं मिल पाने के कारण अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में सफल नहीं हो सके।
26 सितम्बर 1981 को जन्मे रजा अली ने अपनी क्रिकेट की शुरुआत इलाहाबाद से ही की। कुछ समय बाद इनका चयन गोमतीनगर हास्टल लखनऊ के लिए हो गया। रजा ने 1995 से 1997 तक वीनू मानकड और सीके नायडू ट्राफी में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद 1998-99 के सत्र में रजा का चयन कूच बिहार ट्राफी के लिए रेलवे की अंडर-19 टीम में हो गया। इन्होंने अपनी बल्लेबाजी से रेलवे का चैम्पियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रजा ने कूच बिहार ट्राफी और पश्चिम क्षेत्र के मैचों में रेलवे की कप्तानी भी की।
बायें हाथ के सलामी बल्लेबाज और आर्थोडॉक्स गेंदबाज रहे रजा का चयन 1999 में  बीसीसीआई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के लिए हुआ जहां इनके साथ गौतम गंभीर, अजय रात्रा, दीपदास गुप्ता, अमित मिश्र, वेनुगोपाल राव, इशान गंडा और शलभ श्रीवास्तव जैसे नामचीन क्रिकेट भी रहे। इसी दौरान रजा का चयन इंडिया अंडर-19 टीम के कैंप के लिए भी हुआ।
रेलवे की अंडर-19 टीम के सदस्य रहने के दौरान ही रजा को वर्ष 2000 में प्रोफेशनल खिलाड़ी के तौर पर हिमाचल प्रदेश की टीम में जगह मिली जहां इन्होंने पंजाब के खिलाफ रणजी ट्राफी में अपना पदार्पण किया। हिमाचल प्रदेश के अलावा रजा अली रेलवे की रणजी टीम के भी सदस्य रहे। बेहतरीन आलराउंडर होने के बाद भी रजा को वह मौके नहीं मिले जिनकी उन्हें तलाश थी। जूनियर स्तर पर शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद वह सीनियर स्तर पर बहुत मौके नहीं पा सके। जो एक-दो मौके मिले उसमें उन्होंने अपनी भरपूर प्रतिभा दिखाने की कोशिश की। कटक में अंडर-19 सीके नायडू ट्राफी के सेमीफाइनल में उत्तर क्षेत्र के खिलाफ रजा ने 85 रन बनाकर शानदार बल्लेबाजी का नमूना दिखाया था।
उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज में कार्यरत रजा अली पिछले कई वर्षों से एनसीआर टीम के कोच की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। साथ ही वह सेंट जोसेफ क्रिकेट एकेडमी में भी समय-समय पर युवा क्रिकेटरों को भी प्रशिक्षण के गुण सिखाते रहते हैं।
रजा के परिवार में उनके पिता ने रणजी ट्राफी में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के अलावा कई वर्षों तक भारतीय रेलवे टीम की कप्तानी की है। एक समय वह भारत की टीम में खेलने के बहुत करीब थे।
हैदर देश के उन तीन ऑलराउंडर क्रिकेटरों में शामिल हैं जिनके नाम प्रथम श्रेणी में 3000 रन एवं 350 विकेट का डबल है। दो अन्य क्रिकेटर हैं, दिल्ली के मदन लाल एवं उत्तर प्रदेश के आनन्द शुक्ला।
इसके अलावा ताऊ कासिम अली और चचेरे भाईयों रविश अली व शाद अली, अब्बास अली व आबिद अली ने भी विश्वविद्यालय स्तर की क्रिकेट खेली है। इंडिया अंडर-19 टीम के सदस्य रहे एवं पूर्व रणजी क्रिकेटर ताहिर अब्बास भी इनके रिलेटिव हैं।

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