पार्टी के भितरघातियो से हो सकता है भाजपा को खतरा

यमुनापार प्रमोद बाबू झा,
यू तो इलाहाबाद  मे गत 25 मई को मतदान हो चुका है और अब 4 जून को रिजल्ट आने पर ही परिणाम मालुम होगा  किन्तु इस बार मतदान का प्रतिशत और माहौल  को गौर करे तो इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र मे भाजपा प्रत्यासी नीरज त्रिपाठी को इन्डिया गठबंधन से काग्रेस प्रत्यासी उज्वल रमण सिह जबरदस्त टक्कर दे सकते है राजनैतिक जानकारो का कहना है कि इसबार की चुनावी गुणा गणित को देखे तो इन्डिया गठबंधन के काग्रेस प्रत्यासी उज्वल रमण सिह जो करछना से बिधायक और उप्र के पूर्व मंत्री रहे है  और उनके पिता कुवर रेवती रमण सिंह इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से सासद रह चुके है  और यमुनापार के दिग्गज नेता गिने जाते है ,उनके कार्यकर्ता और समर्थक यमुनापार के सभी प्रमुख बाजारो मे है , और इस बार भी जबतक भाजपा अपना प्रत्यासी घोषित किया तब तक उज्वल रमण सिह  इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत करछना कोरांव मेजा और बारा बिधान सभा के अनेक गावो मे जनसंपर्क कर चुके थे, और अपनी टीम के प्रमुख समर्थको को भी सक्रिय कर चुके थे , इसका असर यह हौआ कि भाजपा के प्रत्यासी नीरज त्रिपाठी जो कि पेशे से अधिवक्ता है और चुनाव के लिहाज से वे कभी सभासद का भी चुनाव नही लिए और  सीधे लोकसभा के प्रत्याशी वनाये गये उनके पास केवल अपने पिता पूर्व राज्यपाल स्वं पं केशरीनाथ त्रिपाठी के नाम का ही आधार निजी तौर पर होने से पार्टी मे जगह वनाने की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी मिली, इस तरह भाजपा प्रत्यासी  जो पार्टी मे भी ग्रामीण अंचल के पदाधिकारियो को चुनाव मे ही मिले और यू कहा जाय कि जनता मे राजनैतिक लिहाज से उज्वल रमण सिह की अपेक्षाकृत नया चेहरा थे , उधर इस बार भाजपा का परंपरागत मतदाता जोकि 2014व 2019 मे उत्साहित थे इसबार वो वात नही दिखी पी एम मोदी व यूपी सी एम योगी डिप्टी सी एम केशव प्रसाद मौर्य जैसे भाजपा के दिग्गज नेताओ की सभाकी सभाओ मे खाली दिखी, एक कारण यह है कि कुर्मी ब्राह्मण वैष्य व  कायस्थ ही नही वल्कि आदिवासी निषाद माझी आदि समाज के लोगो मे भी एक मत  नही था ऐसे मे यह अनुमान लगाना कठिन है कि भाजपा की जीत सुनिश्चित है जबकि  इन्डिया गठबंधन  प्रत्यासी को किसानो का खासा समर्थन इस बार मिला और खासियत यह रही कि हर वर्ग का बोट उन्हे मिला जो पिछले कुछ चुनावो मे काग्रेस से कटा था ,परिणाम भले ही कुछ आये मगर भाजपा को अपनी ही पार्टी के भितरघातियो से ज्यादा खतरा हो सकता है, इस बार इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र मे मोदी और योगी का नाम अधिक प्रभावी नही दिखा ,अब तो मतदाताओ का बोट एवीएम मे है फैसला आना शेष है ,

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