पारि पुनस्थापन वन अनुसंधान केंद्र का राष्ट्रीय सम्मेलन 10 से 11 नवंबर तक

विमलेश मिश्र

प्रयागराज ! पारि पुनस्थापन वन अनुसंधान केन्द्र प्रमुख डॉ संजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को बताया कि  केन्द्र के 30 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर  10,11 नवम्बर को ” पर्यावरण उद्धार में वानिकी प्रतिरूप का हस्तक्षेप, विषय पर होटल दर्शन में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है । राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखण्ड बिहार झारखंड तेलंगाना , आन्ध्र प्रदेश , मेघालय , आसाम , हिमाचल प्रदेश , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , तमिलनाडु आदि राज्यों से वैज्ञानिक तथा शोधार्थी सम्मिलित होंगे । 1 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए ” ट्री ग्रोवर मेला ” भी लगाया जायेगा जिसमें 500 से अधिक किसान सम्मिलित होगे । संजय जी ने केन्द्र द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश में वानिकी प्रसार हेतु किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराते हुए कहा कि पारि पुनस्थापन वन अनुसंधान केन्द्र प्रयागराज भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय , भारत सरकार सम्पूर्ण भारत में अपने विभिन्न संस्थान माध्यम से पर्यावरण पुनर्वास के साथ विभिन्न प्रकार के रोजगार / व्यापार उपलब्ध कराता है , केंद्र 1991-92 से अनुसंधान एवं विस्तार केन्द्र के रूप में कार्यरत है । केन्द्र पूर्वी उत्तर प्रदेश में पर्यावरण , क्षारीय स्थल तथा खनन क्षेत्रों के सायनिक एवं वृक्षारोपण  के माध्यम से गंगा के मैदानी क्षेत्रों के कुछ भागों में औषधीय / धार्मिक वृक्षारोपण करता है । उन्होंने कहा कि हम  30 वर्षों से पर्यावरण सुधार के साथ – साथ ग्रामीण वन प्रजातियों हेतु लगातार उच्च गुणवत्ता वाली पौधशाला तथा वृक्षारोपण तकनीकी विकसित कर रहे हैं । प्रयागराज केन्द्र पूर्वी उत्तर प्रदेश में कम नमी  लवणीय / क्षारीय मिट्टी , अमित बन चारागाह तथा पशुओं द्वारा चराई गयी भूमि खनन क्षेत्रों व अन्य बजर भूमि के सुधार हेतु कार्य कर रहे हैं। केंद्र का प्रबंधन तथा संचालन उच्च योग्य विशिष्ट शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता है , जो कि  अनुसंधान एवं विकास समस्याओं का गहन अध्ययन कर उनका समाधान प्रदान करते हैं केन्द्र प्रमुख ने बताया कि केन्द्र द्वारा उत्तर प्रदेश की जलवायु के लिए उपयुक्त यूकेलिप्टस पॉपुलर  किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए कर्नाटक से चन्दन प्रजातियों को भी लगवाया जा रहा है साथ ही उत्तर पूर्व से 26 बाँस प्रजातियां लाकर प्रदेश भर में रोपित की गयी हैं । केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कुमुद दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि मिलिया डूबिया 6 वर्ष में पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है एवं किसान इस पेड़ को लगाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अनीता तोमर ने पर्यावरण पुनर्वास हेतु उनकी प्रगति तथा प्रभाव पर प्रकाश डाला।

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