पापमोचनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा का सही नियम क्या है? प्राप्त होगा अखंड सौभाग्य

एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में विशेष होता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती है और प्रत्येक महीने में 2 बार एकादशी आती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। पापमोचनी एकादशी को बेहद पवित्र मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इसमें भक्तों के पापों को दूर करने की शक्ति होती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। आइए आपको बताते हैं एकादशी के दिन तुलसी की पूजा कैसी करनी चाहिए? आइए आपको बताते हैं।

 

पापमोचनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त 

 

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 मार्च को सुबह 05 बजकर 05 मिनट पर शुरु होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 26 मार्च को देर रात 03 बजकर 45 मिनट पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक 25 मार्च को ही पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

 

पापमोचनी एकादशी पर कैसे करें मां तुलसी की पूजा

जल्दी सुबह उठें और स्नान आदि करें।

 

– पूजा घर की सफाई अच्छे करें।

 

– फिर तुलसी जी और भगवान विष्णु जी को एक साथ विराजित करें और विधिवत रुप से पूजा करें।

 

– मां तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं।

 

– फिर तुलसी मां को कुमकुम अर्पित करें।

 

– अब तुलसी मां को 16 श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।

 

– इसके बाद आंटे के हलवे और ऋतु फल का भोग अर्पित करें।

 

– तुलसी जी की 11 या 21 बार परिक्रमा करें।

 

– अब आप तुलसी चालीसा व कवच पाठ करें।

 

– आखिर में मां तुलसी की आरती करें।

 

– पूजा में जो भी भूल-चूक हुई है, उसके लिए क्षमा मांगे।

 

– तामसिक चीजों से परहेज करें।

 

तुलसी पूजा मंत्र

 

– वृंदा देवी-अष्टक: गाङ्गेयचाम्पेयतडिद्विनिन्दिरोचिःप्रवाहस्नपितात्मवृन्दे ।

बन्धूकबन्धुद्युतिदिव्यवासोवृन्दे नुमस्ते चरणारविन्दम् ॥

 

– ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ॥

 

– समस्तवैकुण्ठशिरोमणौ श्रीकृष्णस्य वृन्दावनधन्यधामिन् ।

दत्ताधिकारे वृषभानुपुत्र्या वृन्दे नुमस्ते चरणारविन्दम् ॥

Related posts

Leave a Comment