पाना है आशीर्वाद तो भगवान को भोग लगाते समय इन बातों का रखें ध्यान

यदि आप भगवान का भोग लगाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखेंगे, तो वह आपसे सदैव प्रसन्न रहेंगे। पंडित मुन्ना बाजपेई राम जी का कहना है। ऐसा नहीं है, कि कोई भी भक्त भगवान को भोग लगाते समय जानबूझकर गलती करता हो, पर अनजाने में उनसे ऐसा हो जाता है। इसकी एक वजह भगवान से उनका अत्यधिक प्रेम भी होता है। याद रखें हर खाद्य पदार्थ भगवान को नहीं चढ़ाना चाहिए। बल्कि कुछ खास चीजों का ही भोग लगाना सही होता है।भगवान की पूजा तभी पूरी मानी जाती है जब उन पर जल, फूल, तिलक और पूजन सामग्री आदि के साथ शुद्ध खाद्य सामग्री का भोग भी लगाया जाए। ऐसे में याद रखें कि हर वह सात्विक भोजन जो आपको उचित लगता है, भगवान को नहीं चढ़ाया जा सकता। वास्तव में कुछ चीजें चढ़ाना उन्हें प्रसन्न करता है, तो कुछ बातों से वह नाराज भी हो जाते हैं। इससे आपको पूजा और भोग का इच्छा अनुरूप फल नहीं मिलता। दरसल भगवान के भोग में कुछ चीजें बिल्कुल नहीं चढ़ानी चाहिए, क्योंकि वे पूर्णतः निषेध होती हैं।

भोग में क्या चढ़ाएं और क्या नहीं

सबसे पहले आप यह समझ लें, कि भगवान जी को क्या चढ़ाना चाहिए और क्या नहीं। हर भगवान का अलग प्रिय प्रसाद होता है। जैसे हनुमान जी लड्डू पेड़ा और हलवा खाना पसंद करते हैं। वहीं गणेश जी मोदक खाना चाहते हैं या फिर उन्हें पीली और सफेद चीजें पसंद आती हैं।विष्णु जी को भोग लगाते समय खीर और सूजी का हलवा चढ़ाना चाहिए। यदि आप भोग में तुलसी रखना भूल गए तो विष्णु आपका भोग स्वीकार नहीं करेंगे। शिव जी के साथ बिल्कुल उल्टा है उनको तुलसी भूलकर भी ना चढ़ाएं। शंकर जी को भांग, धतूरा और पंचामृत स्वीकार होता है। देवी लक्ष्मी को खीर, सफेद पेड़ा पसंद है तो मां दुर्गा केला, हलवा और मालपुआ पसंद करती हैं। देवियों को नारियल सर्वाधिक प्रिय होता है।

ना करें ये गलतियां

भगवान को भोग लगाते समय कुछ गलतियां कभी ना करें। जैसे आप किस भगवान को भोग लगा रहे हैं, उसके पसंदीदा रंगों का ख्याल रखें। गणेश जी को सफेद और पीले खाद्य पसंद हैं तो उनको वही अर्पित करें। इसके अलावा भोग लगाने के बाद तुरंत प्रसाद ग्रहण करें। उसे पूजा घर में पड़ा ना रहने दें। भोग के सामान में नमक मिर्च का इस्तेमाल ना करें। भगवान को मीठी चीजें ही पसंद हैं। लहसुन और प्याज का प्रयोग भी नैवेद्य में वर्जित है। केवल फल और मिष्ठान ही इस्तेमाल करें। भगवान को हमेशा धातु के बर्तन में ही भोग लगाएं। प्रसाद को जमीन पर भूलकर भी ना रखें।

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