पाकिस्तान में बढ़ते टकराव के बीच हिंसा का अंदेशा गहराया

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान के लाहौर से इस्लामाबाद तक के लॉन्ग मार्च में हजारों लोग उनके साथ चल पड़े हैं। इस आयोजन के दौरान पाकिस्तान में इमरान खान की ऊंची लोकप्रियता की झलक एक बार फिर देखने को मिल रही है। पूर्व प्रधानमंत्री खान ने शुक्रवार को लाहौर के लिबर्टी चौक से ये मार्च शुरू किया। उनकी मांग देश में आम चुनाव का तुरंत एलान करने की है। वैसे नेशनल असेंबली के चुनाव में अभी लगभग एक साल बाकी है।

अपने समर्थकों के बीच ‘कप्तान’ नाम से मशहूर इमरान खान ने इसके पहले इसी मांग पर जोर डालने के लिए बीते मई में भी इस्लामाबाद तक मार्च आयोजित किया था। तब हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच उन्हें बिना अपना मकसद हासिल किए मार्च को खत्म करना पड़ा था। शुक्रवार को लाहौर में उन्होंने कहा- अब हालात उस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जब लोग इस ‘आयातित सरकार’ को तुरंत हटाने की मांग कर रहे हैं।

पीटीआई के इस कार्यक्रम की वजह से यहां राजनीतिक तनाव काफी बढ़ गया है। सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा है। राजधानी में पुलिस, रेंजर्स और अन्य अर्ध सैनिक बलों के 30 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है, ताकि मार्च अति सुरक्षा वाले इलाकों में प्रवेश ना कर सके। उधर राजनीतिक टीकाकरों के बीच इस मार्च के संभावित परिणामों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।

अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बातचीत में लेखक और राजनीतिक टीकाकार डॉ. रसूल बख्श रईस ने कहा- ‘इस मार्च से ऐसे बड़े टकराव का अंदेशा है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ। इसमें अब कोई शक नहीं बचा है कि इमरान खान का सीधा मुकाबला एस्टेब्लिशमेंट से है।’ पाकिस्तान में सेना और खुफिया तंत्र के नेतृत्व को एस्टेब्लिशमेंट नाम से जाना जाता है। राजनीति विश्लेषक मुशर्रफ जैसी ने कहा है- ‘इस मार्च से इमरान की ऊंची लोकप्रियता पर तो कोई उलटा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इसकी वजह से शहबाज शरीफ सरकार के गिरने की संभावना भी नहीं है। यह जरूर है कि इससे शरीफ सरकार की शासन करने की क्षमता में सेंध लग जाएगी।’

राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. उमैर जावेद ने कहा है- ‘अधिक संभावना इस बात की है कि बड़े पैमाने पर उथल-पुथल को रोकने के लिए सेना की मदद ली जाएगी। इससे एक कमजोर सरकार की जो थोड़ी-बहुत पकड़ है, वह भी कमजोर होगी और सेना का प्रभाव बढ़ेगा।’ राजनीति विश्लेषक अहमद बिलाल महबूब ने कहा है- ‘इस मार्च से इमरान खान और एस्टेब्लिशमेंट के बीच टकराव और गंभीर रूप ले लेगा। यह सिर्फ दो विरोधी राजनीतिक ताकतों का मुकाबला नहीं है। इमरान खान खुल कर एस्टेब्लिशमेंट की आलोचना कर रहे हैं और उसके आधार पर सार्वजनिक नैरेटिव तैयार कर रहे हैं। ऐसे नैरेटिव से राष्ट्र हित को क्षति पहुंचेगी।’

महबूब ने कहा- ‘मौजूदा टकराव के माहौल में हिंसा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर हिंसा के हालात हाथ से निकले, तो मार्शल लॉ लगने की संभावना बन जाएगी।’ विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि मार्च शुरू होने से पहले आईएसआई के प्रमुख ले.ज. नदीम अंजुम ने प्रेस कांफ्रेंस कर इमरान खान के खिलाफ मोर्चा खोला। उसके बाद पीटीआई के नेता असद उमर ने कहा कि उनकी पार्टी को सेना के फैसलों की आलोचना करने का संवैधानिक अधिकार है। इन बयानों के कारण देश में टकराव और अंदेशे का माहौल बेहद गहरा गया है।

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