ब्रिटिश शासन के खिलाफ पाइका विद्रोह के 200 साल पूरे होने के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को यहां इससे जुड़े स्मारक की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि ओडिशा के खुर्दा जिले में यह स्मारक आने वाली पीढ़ियों के लिये प्रेरणास्त्रोत होगा। उन्होंने कहा कि बरुनेई की पहाड़ियों की तलहटी में यह परियोजना 10 एकड़ जमीन पर तैयार होगी। कोविंद ने कहा, “इस स्मारक को ओडिशा के शौर्य के प्रतीक के तौर पर देखा जाएगा और आने वाली पीढ़ियों के लिये यह प्रेरणा का स्रोत होगा।”
ओडिशा के गजपति शासकों के तहत आने वाले किसानों की सेना पाइका ने बक्शी जगबंधु विद्याधर के नेतृत्व में 1817 में ब्रिटिशों के खिलाफ विद्रोह किया था। ओडिशा को “शांति-प्रिय लोगों की भूमि” बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि खेती में जुटे रहने वाले पाइका ने उस वक्त औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया जब उन्होंने उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, “क्रांतिकारी जयी राजगुरु के अंग्रेजों के कपट के खिलाफ लड़ते हुए वीरगति प्राप्त करने के बाद, अंग्रेजों ने सोचा होगा कि पाइकों के विद्रोह को उन्होंने कुचल दिया। परंतु बक्शी जगबंधु बिद्याधर ने अपने साहसी नेतृत्व से पाइका विद्रोह को ज्वाला का रूप दिया।”कोविंद ने कहा कि इसमें विद्रोह में किसानों, श्रमिकों और कलाकारों ने भी हिस्सा लिया। इस मौके पर ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्व हरिचंदन, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रह्लाद सिंह पटेल और प्रताप चंद्र सारंगी भी मौजूद थे।