प्रयागराज। पारि पुनस्र्थापन वन अनुसंधान केन्द्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन समारोह गुरूवार को हुआ। जिसमें अरुण सिंह रावत, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक तथा कुलाधिपति, वन अनुसंधान संस्थान समविश्वविद्यालय देहरादून ने ऑनलाइन माध्यम से जायजा लिया। साथ ही पर्यावरण पुनर्वास हेतु महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की।
संगोष्ठी के समापन दिवस के प्रथम सत्र में डाॅ लालजी सिंह, रायपुर ने शुष्क वातावरण में नीलगिरी के पौधों के कार्बन संग्रहण पर व्याख्यान दिया। सत्यम बोरदोलोई असम ने सरल अनुक्रम दोहराव की जीनोम की विस्तृत पहचान तथा अगर वृक्ष में मार्कर तकनीक के विकास पर प्रस्तुतीकरण दिया। मो इब्राहिम, वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, असम ने पूर्वोत्तर भारत में बाँस की विविधता के आकलन पर व्याख्यान दिया।
अन्तिम तकनीकी सत्र में प्रजाति बैंबोसा बाल्कोआ के रूपात्मक डाॅ संजय सिंह की अध्यक्षता में आमंत्रित मुख्य वक्ता डाॅ संतन बर्थवाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक वन अनुसंधान संस्थान देहरादून ने बाँस के बड़े पैमाने पर प्रसार के लिए हाइड्रोपोनिक्स का उपयोग करने के फायदे तथा चुनौतियों पर प्रस्तुतीकरण दिया। साथ ही उन्होने बाँस की पैदावार बढ़ाने में उनके द्वारा किये गये परीक्षण पर चर्चा की। बालकृष्ण तिवारी, वैज्ञानिक हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने हिमाचल प्रदेश के ठण्डे मरुस्थलीय क्षेत्र में खेती के लिए व्हाइट बिलो (सेलिक्स अल्बा) के बेहतर तथा कीट प्रतिरोधी जीनोटाइप के चयन पर चर्चा की। डाॅ अनुकूल श्रीवास्तव, वैज्ञानिक राज्य वन अनुसंधान संस्थान कानपुर ने जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए वानिकी संयंत्रों पर हाइड्रोजेल के प्रभाव पर चर्चा की।
विभिन्न वैज्ञानिकों-विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान के बाद उपस्थित शोध छात्रों ने संगोष्ठी तथा अनुसंधान सम्बंधी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की। समापन संध्या पर सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत सत्यव्रत वोकल म्यूजिकल ग्रुप (ताल) ने सदाबहार गीतों से उपस्थित प्रतिभागियों का मनोरंजन किया। अन्त में केन्द्र की वैज्ञानिक डाॅ अनुभा श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ कुमुद दूबे, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डाॅ एस.डी शुक्ला के साथ अन्य शोध छात्र आदि उपस्थित थे।