प्रयागराज । संगम नगरी में नागपंचमी का पर्व परंपरागत तरीके से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने घरों में दूध लावा का भोग लगाकर नाग देवता का आह्वान किया।भगवान शिव के मंदिरों में पूजा अर्चना और जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ रही। दारागंज में गंगा के तट पर स्थित नागवासुकी भगवान को दूध लावा का भोग लगाने और अभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। यहां पर सुरक्षा व्यवस्था का व्यापक बंदोबस्त था मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में सपेरे विभिन्न प्रजाति के सांपों का दर्शन करा रहे थे। लोगों ने नाग देवता का दर्शन कर यथाशक्ति दान पुण्य किया। इसके अलावा जनपद के सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही।दूध और लावा की खरीदारी जमकर की गई। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान नागवासुकी को रस्सी बनाकर देवताओं और दानवों ने समुद्र का मंथन किया था। समुद्र मंथन के बाद नागवासुकी काफी लहुलुहान हो गए थे।भगवान विष्णु की सलाह पर नागवासुकी ने संगम नगरी प्रयागराज में इसी स्थान पर आराम किया था। इसके चलते इसे नागवासुकी मंदिर कहा जाता है।देश के कोने-कोने से श्रद्धालु सर्पदोष से मुक्ती पाने के लिए नागवासुकी महाराज का दर्शन करने और अनुष्ठान करने के लिए यहां पर आते हैं। यहां से कंकड़ ले जाकर घर में रखने पर घर पर कभी सापों और नागों की छाया नहीं पड़ती है और सर्पदोष से मुक्ती मिलती है,ऐसी भी मान्यता है।
नागपंचमी पर विधि-विधान से हुई नागवासुकी की पूजा
