डॉ कुसुम पांडेय
विश्व भर में मनाया जाने वाला.…
नववर्ष आया, नववर्ष आया
उम्मीदों की किरणों से भरा…
खुशियों का एहसास कराया…
नववर्षआया, नववर्ष आया
बीते हुए वर्ष में कोरोना का कहर छाया रहा….
उदासी और भय के वातावरण का साया रहा…
शारीरिक दूरी को जरूरी बताया गया
मास्क और सैनिटाइजर को जीवन रक्षक बनाया गया..
कुछ अपनों को खोने का गम रहा…
कुछ सपनों के टूटने की कसक रही…
फिर भी जीवन यात्रा चलती गई…
कोरोना महामारी को बहुत कोसा गया…
वैश्विक महामारी ने आर्थिक तबाही लाई
पर साथ ही प्राकृतिक चीजों ने
सुरक्षा कवच बन कर जान बचाई
कोरोना लॉकडाउन ने घर में रहना सिखाया….
प्रकृति के प्रति उदारता का ध्यान दिलाया…
पुरुष और प्रकृति के बिना जीवन नहीं…
हम सब को यह ज्ञान कराया…
समस्या में भी समाधान के अवसर बताएं….
जीवन यापन के नए नए ढंग सिखाए..
स्वदेशी और स्वरोजगार का पाठ पढ़ाया…
कोरोना ने हमारी कमियों की तरफ भी ध्यान दिलाया
अब हमें नववर्ष का संकल्प दोहराना है..
पर्यावरण की सुरक्षा का धर्म निभाना है..
प्रकृति के प्रति संवेदनशील बन अपना फर्ज निभाना है…
प्रकृति के संरक्षण से ही जीवन संरक्षित रहेगा…
ऐसा ज्ञान अपने और अपनों को करवाना है…
नववर्ष के इसी संकल्प के साथ आगे बढ़ते जाना है!