देहांत से एकांत बेहतर

प्रयागराज! कुछ तो शर्म करो लोगों, क्यों आप सब को यह बात समझ में नहीं आती कि मार्गदर्शन मिल जाने के बाद उस पर अमल करना चाहिए । जनता कर्फ्यू सिर्फ एक दिन के लिए नहीं था, वरन जब तक इस कॊरोना संकट से उबर नहीं जाते तब तक के लिए है । लेकिन लोगों ने तो इसका मजाक बना डाला है । क्या प्रधानमंत्री रोज रोज आपसे अपील करें ? क्या हम लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं है कि आखिर हम जिस परिवार, पड़ोस, समाज, इष्ट-मित्र, जिनके लिए भी जीते हैं, कम से कम उन्हीं की सुरक्षा के लिए ही सही कुछ नियम संयम के साथ अपने घर में ही रहे ? क्यों इतना उतावलापन कि अगर अभी घर से नहीं निकले, नहीं घूमे, तो फिर मौका नहीं मिलेगा ? जबकि मेरी राय में यदि यह जीवन ही नहीं रहेगा तो मौका कैसे मिलेगा ? क्या हम अगली पीढ़ी को जीवन जीने का मौका नहीं देना चाहते ? यदि हां, तो विनम्र निवेदन है कि जनता कर्फ्यू को सहज स्वीकारें और महामारी फैलने से बचाने में अपना सहयोग दें । कहते हैं कि जिंदगी संवारने को तो जिंदगी पड़ी है, अभी तो बस वह लम्हा संभाल लो जहां जिंदगी खड़ी है ।

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