दूसरे क्वालीफायर में हैदराबाद की बल्ले से शुरुआत पर निर्भर होगा मैच का नतीजा- श्रीकांत

हैदराबाद की टीम क्वालीफायर में प्रवेश करने की सही हकदार थी। एक ऐसी टीम जिसने क्षमता से बेहतर प्रदर्शन किया और जो अब एक और फाइनल में जगह बनाने की दहलीज पर है। दिल्ली के खिलाफ लय और हालात पूरी तरह से पूर्व चैंपियन हैदराबाद के पक्ष में नजर आ रहे हैं। खासकर ये देखते हुए कि दिल्ली की टीम अपना जादू खो चुकी है। हालांकि व्यक्तिगत कौशल और उसका प्रदर्शन इस प्रारूप में किसी भी अनुमान को पलट सकता है। दिल्ली को उम्मीद होगी कि शिखर धवन वापस बल्ले से कहर बरपाएं और साथ ही अश्विन गेंद के साथ जलवा बिखेरें, खासकर पावरप्ले में। हैदराबाद की बल्लेबाजी के सामने दिल्ली का संतुलित गेंदबाजी आक्रमण। ये टक्कर वाकई देखने लायक होगी।

कप्तान डेविड वॉर्नर पर काफी कुछ निर्भर होगा। साहा के साथ मिलकर वॉर्नर ने टीम को ऐसी शुरुआत दी, जिसने विपक्षी टीमों को बैकफुट पर धकेल दिया। मगर बाकी शीर्ष क्रम और मध्यक्रम वो कमजोर कड़ी है, जिसका फायदा दिल्ली की टीम उठाने की कोशिश करेगी। रबादा और नोत्र्जे के रूप में दिल्ली के पास नई गेंद के सौदागर हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि ये दोनों शुरुआती छह ओवरों में ही विकेट लें। यही वो जगह है जहां अश्विन की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। सीधी बात करें तो इसका मतलब ये हुआ कि मैच का नतीजा इस बात पर निर्भर हो सकता है कि हैदराबाद के ओपनर टीम को कैसी शुरुआत देते हैं।

केन विलियमसन और जेसन होल्डर टीम में अनुभव तो लाए ही हैं, साथ ही मध्यक्रम में धैर्य भी लेकर आए हैं। टीम के पास संदीप शर्मा और राशिद खान के रूप में दो ऐसे गेंदबाज हैं जो किसी भी मोड़ पर आकर विकेट ले सकते हैं। नटराजन अपने कप्तान की उम्मीदों पर खरे उतरते ही हैं। यही बात इन गेंदबाजों को टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण में से एक बनाती है। अगर मुझे दिल्ली की अंतिम एकादश चुननी होती तो मैं मध्यक्रम को मजबूती देने के लिए हेटमायर को जरूर चुनता। टीम मैनेजमेंट को डेनियल सैम्स की जगह किसी भारतीय तेज गेंदबाज के विकल्प को चुनना चाहिए ताकि टीम को ऐसे विपक्षी के खिलाफ बेहतर अवसर मुहैया कराया जा सके जो जबरदस्त लय में है।

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